रिपोर्ट में बताया गया कि 2011-12 में उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, पश्चिम बंगाल और मध्य प्रदेश में देश के 65% अत्यंत गरीब लोग थे। अब इन 5 राज्यों ने ही 2022-23 तक अत्यधिक गरीबी में कमी में दो-तिहाई का योगदान दिया है। वल्र्ड बैंक ने गरीबी का आकलन 3 डॉलर प्रति दिन (2021 की कीमतों) की अंतर्राष्ट्रीय गरीबी रेखा के अनुसार किया है।
रिपोर्ट में कहा गया कि देश के ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी में तेजी से गिरावट आई है। इसी अवधि में ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 18.4% से घटकर 2.8% प्रतिशत हो गई, जबकि शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक गरीबी 10.7% से घटकर 1.1% पर आ गई है। वहीं 2.15 डॉलर प्रति दिन (2017 की कीमतों) के पहले के हिसाब से देखा जाए तो गरीबी दर 2011-12 में 16.2% से घटकर 2022 में सिर्फ 2.3% रह गई है।
इस सीमा से नीचे रहने वाले भारतीयों की संख्या 2011 के 20.59 करोड़ से घटकर 2022 में 3.36 रह गई है। इस दौरान भारत ने बहुआयामी गरीबी को कम करने में भी बड़ी कामयाबी हासिल की है। यह स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवनशैली में कमी दर्शाता है। बहुआयामी गरीबी 2005-06 में 53.8% थी, जो 2019-21 में घटकर 16.4% और 2022-23 में 15.5% रह गई।
मोदी की नीतियों से मिली सफलता
रिपोर्ट में बताया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और आर्थिक सुधरों के कारण भारत ने तेजी से गरीबी दूर करने में सफलता पाई है। पीएम आवास योजना, पीएम उज्ज्वला योजना, जनधन योजना और आयुष्मान भारत जैसी पहलों ने आवास, स्वच्छ खाना पकाने के ईंधन, बैंकिंग और स्वास्थ्य सेवा तक लोगों की पहुंच को बढ़ाया है। इसके साथ ही प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी), डिजिटल समावेशन और मजबूत ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर ने अंतिम छोर तक लाभों को पहुंचाने में भूमिका निभाई। इससे 25 करोड़ से अधिक लोगों को गरीबी से उबरने में मदद मिली।