Interview: क्यों राजस्थान, गुजरात में बढ़ रही बारिश, क्यों हीटवेब से कम हो रही मौतें, ऐसे सभी सवालों का जवाब दे रहे हैं डॉ. मुत्युंजय महापात्रा
Exclusive Interview: मानसून के अनुमान से लेकर पर्यावरण में आ रहे बदलावों और चरम मौसम की घटना, बिजली गिरने से खुद का बचाव करने, तापमान में लगातार बढ़ोतरी तक कई सवालों का जवाब भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा दे रहे हैं। डॉ. महापात्रा से पत्रिका की वरिष्ठ पत्रकार डॉ. मीना कुमारी ने विशेष बातचीत की है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्रा का विशेष साक्षात्कार। (Photo: Patrika)
Interview of Dr. Mrutyunjay Mohapatra: सवाल- जलवायु परिवर्तन के चलते भारत में मौसम के पैटर्न में क्या प्रमुख बदलाव देखे जा रहे हैं? आने वाले दशकों में भारतीय मौसम पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव और अधिक प्रमुख हो जाएगा, आइएमडी खुद को कैसे तैयार कर रहा है?
जवाब- देखिए, जलवायु परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया है। पहले भी जलवायु परिवर्तन होता आया है। अभी भी परिवर्तन हो रहा है और भविष्य में भी जलवायु परिवर्तन होगा। जब परमानेंटली क्लाइमेड पैटर्न शिफ्ट हो जाता है तो इसे क्लाइमेड चेंज बोला जाता है। 1850 के बाद तापमान लगातार बढ़ रहा है और विशेषकर 1970 से पूरी दुनिया में तेजी से तापमान बढ़ रहा है। आंकड़ों की बात करें तो पिछले दस साल में 1.15 डिग्री तापमान बढ़ा है। भारत की बात करें तो भारत में भी तापमान बढ़ रहा है। पिछले 100 साल के तापमान को अगर आप देखें तो लगभग 0.6 डिग्री तापमान बढ़ा है। प्री मानसून की बात करें तो जो गर्मी का मौसम है उसमें भी तापमान बढ़ रहा है और दिसंबर और जनवरी में भी तापमान में बढ़ोतरी हो रही है। मानसून सीजन में भी तापमान बढ़ रहा है।
‘तापमान में वृद्धि से वायुमंडल की आर्द्रता भी बढ़ रही है’
देश के अलग अलग राज्यों की बात करें तो जो हमारा हीट जोन है जैसे नार्थ इंडिया, सेंट्रल इंडिया में भी तापमान बढ़ रहा है। साउथ इंडिया में पहले हीट नहीं थी, अभी हीट ज़्यादा है। तापमान में जो बढ़ोत्तरी हो रही है इसके कारण वायुमंडल की आर्द्रता में भी वृद्धि हुई है। एक डिग्री तापमान बढ़ने से आर्द्रता 7 प्रतिशत बढ़ जाती है। जब आर्द्रता बढ़ती है, यानी वातावरण में पानी को पकड़ने की क्षमता ज्यादा हो गया है। तापमान बढ़ने के साथ जो ह्यूमिडिटी बढ़ी है उसमें हमारा डिसकम्पोड बढ़ गया है। जैसे कि 40 डिग्री तापमान में आप जो महसूस करते हैं, उसमें 50 प्रतिशत ह्यूमिडिटी होती है तो आपको लगता है कि तापमान 45 डिग्री सेल्सियस है। तो इसको बोलते हैं फील लाइव टेंपरेचर । ह्यूमिडिटी बढ़ने से फील लाइक टैक्प्रेचर ज्यादा हो जाता है। यानी हमारी बॉडी पर असर ज्यादा पड़ता है। तापमान बढ़ने से दूसरे पैरामीटर भी इससे प्रभावित हो रहे हैं। जैसे अब उत्तर पूर्वी भारत में बारिश घट रही है, वहीं उत्तर पश्चिम भारत में जैसे राजस्थान, गुजरात के कच्छ में बारिश अधिक हो रही है। देश में कुल बारिश को देखें तो न इसमें वृद्धि हो रही है तो न इसमें कमी हो रही है।
सवाल- मानसून पूर्वानुमान को लेकर आइएमडी कितनी सटीकता हासिल कर चुका है और इसमें आगे क्या सुधार संभव हैं?जवाब- भारत मौसम विभाग द्वारा लिए गए बहुत सारे कदमों की वजह से क्लाइमेट चेंज का जो नकारात्मक प्रभाव है, इसको हमने दूर किया है। हमारे प्रोग्राम लगभग 40 से 50 प्रतिशत बढ़े हैं। यह संभव तब हुआ है जब हमारे मेट्रोलॉजिकल ऑबजर्वेशंस , कम्प्यूटिंग सिस्टम और न्यूमरिकल मॉडलिंग सिस्टम को हमने मजबूत किया और जरूरत के हिसाब से इसको ट्यून किया गया। जलवायु परिवर्तन से भविष्य में कैसे निपटे इसके लिए भी मौसम जानकारी को ज्यादा एक्यूरेट करने के लिए ज्यादा लोकेशन के लिए कोशिश कर रहे हैं। इस संदर्भ में माननीय प्रधानमंत्री जी ने ‘मिशन मौसम’ समर्पित किया है। मिशन मौसम के जरिए अगले दो साल के भीतर लगभग दो हजार करोड़ रुपए इनवेस्ट किया जाएगा। इसमें जो हमारे पास अभी 40 राडार है उसे 100 प्रतिशत करना है। इसके साथ साथ माइक्रो रेडियोमूलर, ऑटोमैटिक सिस्टम में भी सुधार होगा । कम्प्यूटिंग पावर भी बढ़ेगा।
सवाल- मौसम विभाग में भारत के अलावा कौन से देश हैं जहां की टैक्रोलॉजी भारत से बेहतर है। तो वैसी टैक्नोलॉजी हमारे यहां पर क्यों नहीं है? हम इसके लिए क्या प्रयास कर सकते हैं?
जवाब- हम जब कोई प्लानिंग या रणनीति बनाते हैं, तब सभी विकसित देशों में जहां मौसम की जानकारी में डेवलमेंट हुआ है उनके साथ हम तुलना करते हैं। जैसे 2010 में हम साइक्लोन फोरकास्ट में इम्प्रूव करने लगे तो बेंचमार्क के लिए हम यूएसए गए। उनका साइक्लोन फोरकास्टिंग सिस्टम सबसे अच्छा था। उनके साथ हमारा स्टेर्टेजी डेवलप हुआ अभी जब बात करें तो 2010 में हमारा .फोरकास्टिंग सिस्टम यूएसए की तुलना में 50 प्रतिशत नीचे था। वहीं अब हम 20 से 30 प्रतिशत उनसे बेहतर है। हमने देखा कि हमारा जो रडार सिस्टम है, कुछ देशों की तुलना में कम है। इसलिए हमारे प्राइम मिनिस्टर ने ‘मिशन मौसम’ तैयार किया है। जब हम मिशन मौसम कम्प्लीट करेंगे तो टैक्रोलाजी के हिसाब से भारत मौसम विभाग सभी देशों से आगे होगा। फिर भी किसी भी देश की तुलना में ब्रॉडकास्ट फिर भी बेहतर है। हेवी रेन पूर्वानुमान के मामले में भी इम्प्रूव हुआ है। जैसे लोग पहले मर रहे थे, उसकी तुलना में अब काफी कम मौतें हो रही हैं।
सवाल-पहाड़ी राज्यों में बादल फटने की घटनाएं अक्सर हो रही है। क्या ऐसी घटनाओं में बीते कुछ सालों में वृद्धि हुई है? इसकी वजह? क्या इसका पूर्वानुमान संभव है?जवाब- हमारे देश में हिमालयन रीजन और वेस्टर्न हाट में इस तरह की घटनाएं होती हैं। यह स्थिति ऐसी होती है कि उसका साइज बहुत छोटा होता है। यानी एक-दो गांव इससे प्रभावित होते हैं और उनका लाइप्रेड भी कम होता है। इसको डिटेक्ट करने के लिए हमारे पास जो सेटलाइट है वह पर्याप्त नहीं हैं। अभी हमारे पास 10 रडार वेस्टर्न हिमालयन रीजन में हैं। नार्थ ईस्ट में भी रडार लगाए जा रहे हैं। वेस्ट रीजन में रडार बढ़ाए जा रहे हैं। इसको हम कोई 5 दिन पहले या तीन दिन पहले डिटेक्ट नहीं कर पाएं। नाम कास्ट के लिए पहले हमारे पास कोई मॉडल नहीं था अभी हमने दो नामकास्ट मॉडल लांच किए हैं। इससे हम अगले दो घंटे मेंं तीन घंटे में क्या होने वाला है इसका पूर्वानुमान जारी कर सकते है। दुनियाभर में इसका कोई पूर्वानुमान नहीं होता है मगर हैवी रेन होगा इसका पूर्वानुमान हो सकता है वो भी तब जब हमारे सभी रडार काम करने लगेंगे। हिमालयन रीजन में इतने सारे हिल क्विक्स है कि दस रडार भी पर्याप्त नहीं हैं, इस स्थिति को डिटेक्ट करने के लिए। रडार लगाने के लिए यहां मुश्किल है, रडार जहां लगाएंगे वहां कम्युनिकेशन सिस्टम होना चाहिए, इलेक्ट्रीसिटी होना चाहिए, वॉटर होना चाहिए सुगम रास्ता होना चाहिए। फिर भी देश ‘मिशन मौसम’ के जरिए आगे बढ़ रहा है और रडारों की संख्या भी बढ़ाई जाएगी।
सवाल-इस समय देखें तो अचानक बारिश आती है और फिर एकदम सूखा पड़ जाता है। आौर फिर बारिश होने लगती है। इससे किसानों को काफी नुकसान हो रहा है। इस पर आपका क्या कहना है?
जवाब- अब यही ट्रेंड है। अभी जो बारिश हो रही है इसमें हैवी रेनफॉल आवृत्ति बढ़ रही है। धीमी बारिश जो लंबे समय तक होती थी उसकी आवृत्ति कम हुई है इसलिए लिए हमें खेती के तौर-तरीके को इसी अनुसार अपनाना होगा। जिससे कम से कम लागत के साथ अधिक उत्पादन कर सके। ज़्यादा ज़रूरी है जल संरक्षण करने की। जब सूखा पड़े तो इसका इस्तेमाल हो सके। दूसरा यह कि हम ऐसी वैराइटी वैरायटी तैयार करें जो जलवायु परिवर्तन के अनुकूल हो। तीसरा ज़िलानुसार क्रॉप आॉफ कलैंडर आईएमडी ने बनाया है। इसमें पूर्वानुमान के हिसाब से किसान को सलाह दे सकते हैं। इसके लिए कृषि मंत्रालय, और राज्य में कृषि विवि, आईएमडी सभी मिलकर प्रयास कर रहे है।
सवाल-प्राकृतिक आपदाओ में जीरो कैजुअल्टी के लिए आपका क्या प्रयास रहेगा?जवाब- अभी आप देखेंगे तो काफ़ी सुधार हुआ है। साइक्लोन के क्षेत्र में जीरो कैजुअल्टी हासिल हो चुकी है। हीट वेब की बात करें तो 2015 में दो हजार मृत्यु हो रही थी तो अभी 10-20 मृत्यु ही हो रही है। इस प्रकार मृत्युदर में कमी आई है। इसी को लेकर उम्मीद है जब ‘मिशन मौसम’ के साथ देश में सामाजिक आर्थिक प्रगति होगी तो तब हम जीरो कैजुअल्टी की तरफ बढ़ सकते हैं। यही विजन 2047 है। हम अमृत काल में जा रहे है और उम्मीद करते हैं कि अमृत काल में हम यह लक्ष्य हासिल कर लेंगे।
सवाल- एनजीटी ने अपने एक निर्णय में माना है कि बिहार में पाम के पेड़ काटने से बिजली गिरने से होने वाली मौतों का आंकड़ा काफ़ी बढ़ा है। वहीं बिहार में इस पेड़ को लेकर काफ़ी मान्यताए भी रही है तो इस तरह के देशज ज्ञान और विज्ञान पर आपका क्या कहना है?
जवाब- आधुनिक ज्ञान के साथ ही पारंपरिक ज्ञान पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पाम की आपने बात की, यह भी एक कारण हो सकता है। क्योंकि जब बिजली गिरती है तो पहले ऊंची वस्तु पर गिरेगी। गांव में पाम के पेड़ होते हैं तो पहले बिजली उस पर ही गिरेगी। जब कोई लम्बा पेड़ नहीं रहेगा तो उसका असर और चीजों पर पड़ेगा। जब भी बिजली गिरे तो हमें बाहर नहीं घूमना चाहिए। हमें घर के अंदर रहना चाहिए। इससे हम अपना बचाव कर सकते हैं। घर का दरवाजा भी बंद रखना चाहिए। दूसरा आप गाड़ी चला रहे हों तो आपका दरवाजा बंद रहे तो लाइटिंग का कुछ भी असर नहीं होगा। आप कार के बाहर खड़े रहेंगे तो आपको बिजली की चपेट में आने का खतरा अधिक हो सकता है। जब बिजली गिरे तो स्वीमिंग पुल में भी नहीं रहना चाहिए। बारिश हो रही है आप पेड़ के पास जा रहे हैं तो वहां नहीं जाना चाहिए। पेड़ लाइट का कंडेक्टर है। अभी हमारे पास कम्युनिकेशन सिस्टम इतना बढ़ गया है कि हर किसी के पास मोबाइल है। यदि बिजली गिरते समय आप मोबाइल से बात करेंगे तो आप उसकी चपेट में आ सकते हैं और आपका जान माल का नुकसान हो सकता है। इन सब चीजों का पालन यदि हम करें तो हम बिजली गिरने से अपना बचाव कर सकते हैं। आप खेत में काम कर रहे हों तो खेत से बाहर आकर थोड़ा ऊंचाई में आ जाइए। आप अपने शरीर को सर्कुलर कर चेहरे और सिर को नीचे की ओर करके आप बैठ जाएंगे तो आप सुरक्षित रह सकते हैं। क्योंकि सर्कुलर पोजिशन में लाइटिंग कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता है।
सवाल-पत्रिका के माध्यम से आप आम जन और सरकार को क्या संदेश, सलाह देना चाहेंगे?जवाब- मैं आपके माध्यम से आम जन को यही संदेश देना चाहता हूं कि आप अपने मोबाइल में हमारा मौसम का ऐप डाउनलोड कीजिए इससे आप मौसम की जानकारियों से अपडेट रहिए, आप सचेत रह सकते हैं। किसी भी सूचना के बारे में आपका कोई सुझाव हो या आपत्ति हो तो भारत मौसम विज्ञान विभाग को आप लिख सकते हैं। भारत मौसम विभाग पंचायत स्तर तक अपनी जानकारियों को पहुंचाने जा रहा है। मौसम जानकारियों को सुनिए, सुरक्षित रहिए।
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