क्या बोले बीजेपी नेता
बीजेपी नेता प्रताप सिन्हा ने मुस्लिम लेखिका बानू मुस्ताक को बुलाने के फैसले को लेकर कहा कि दशहरा उत्सव कोई धर्मनिरपेक्ष आयोजन नहीं है, यह एक धार्मिक उत्सव है। हमें बानू मुश्ताक की व्यक्तिगत मान्यताओं पर कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन दशहरा 100 प्रतिशत हमारे धर्म का प्रतिबिंब है, यह हमारा त्योहार है।
बानू को बुकर मिलना कर्नाटक के लिए गौरव की बात-CM
हालांकि इससे पहले कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने बानू मुस्ताक को बुकर मिलना कर्नाटक के लिए गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि इस साल विश्व प्रसिद्ध दशहरा महोत्सव का लेखिका बानू मुस्ताक उद्घाटन करेंगी। यह उत्सव 22 सितंबर को शुरू होगा और विजयादशमी 11वें दिन 2 अक्टूबर को मनाई जाएगी।
BJP के सवाल उठाने पर क्या बोले कांग्रेस सांसद
मैसूर दशहरा उत्सव 2025 का उद्घाटन करने के लिए बुकर पुरस्कार विजेता बानू मुश्ताक को आमंत्रित करने पर बीजेपी द्वारा सवाल उठाए जाने पर कांग्रेस सांसद सैयद नसीर हुसैन ने कहा- बानू मुश्ताक एक साहित्यकार हैं। उन्हें बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। वह हमारे राज्य की सबसे प्रगतिशील लेखिकाओं में से एक हैं। अगर उन्हें किसी कार्यक्रम के उद्घाटन के लिए आमंत्रित किया जाता है, तो किसी को कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। मुझे लगता है कि अगर कोई उन पर टिप्पणी कर रहा है, तो यह पूरी तरह से उनकी धार्मिक पृष्ठभूमि को ध्यान में रखकर है।
दशहरा सभी के लिए-मंत्री पाटिल
मंत्री एचके पाटिल ने इस पर कहा दशहरा सभी के लिए है। यह एक राज्य उत्सव है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ लोग राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें किसी को राजनीति नहीं करनी चाहिए। यह सरकार द्वारा लिए गए अच्छे फैसलों में से एक है। मुझे लगता है कि उन्हें (भाजपा को) अपनी सोच पर पुनर्विचार करना चाहिए।
कौन हैं बानू मुस्ताक (Who Is Banu Mushtaq)
बानू मुस्ताक का 1948 में जन्म हुआ। आठ साल की उम्र में उन्होंने कन्नड़ माध्यम के एक कॉन्वेंट स्कूल में दाखिला लिया और उस भाषा में महारत हासिल की जो आगे चलकर उनके साहित्यिक कार्यों का केंद्र बन गई। 26 साल की उम्र में शादी होने के बाद उनकी पहली लघु कहानी 27 साल की उम्र में प्रकाशित हुई।
आत्मदाह करने की कोशिश
बानू मुस्ताक को शुरुआती वैवाहिक जीवन में भावनात्मक संघर्षों का सामना करना पड़ा। प्रसव के बाद वह अवसाद में चली गई। एक बार उन्होंने आत्मदाह का प्रयास भी किया, लेकिन उनके पति ने उन्हें बचा लिया। उनके संघर्ष के अनुभव उनके प्रशंसित लघु कहानी संग्रह हार्ट लैंप में परिलक्षित होते हैं, जिसके लिए उन्हें मई में अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिला। उन्हें कर्नाटक साहित्य अकादमी पुरस्कार और दाना चिंतामणि अत्तिमाबे पुरस्कार सहित कई प्रमुख सम्मान भी मिले हैं।