Patrika Explainer: पीएम मोदी ने क्यों बताया 22 अक्टूबर 1947 में हुआ था पहला आतंकी हमला, क्यों किया सरदार पटेल को याद?
PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात में अपने भाषण के दौरान सरदार पटेल का जिक्र छेड़ा और कहा कि कश्मीर में युद्ध रोकने और यूएन में भारत जाने के फैसले के वह पूरी तरह विरोध में थे। आइए जानते हैं कि इस विषय पर इतिहास और इतिहासकार क्या कहते हैं।
PM Narendra Modi: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को ऑपरेशन सिंदूर (Operation Sindoor) की बात करते हुए गुजरात में 1947 में कश्मीर में ‘पहले आतंकी हमले’ (First Terror Attack in Kashmir) और सरदार पटेल की बात नहीं माने जाने की बात कही। उनका इशारा आजादी के बाद कश्मीर पर पाक समर्थित कबायलियों के हमले और भारत की ओर से संयुक्त राष्ट्र (United Nation) में जाकर युद्ध विराम स्वीकार करने को लेकर था। इतिहासकारों के मुताबिक तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल (Sardar Patel) इन दोनों कदमों से ही सहमत नहीं थे। आइए जानते हैं उस समय क्या हुआ था…
आजादी के महज दो माह बाद पाकिस्तान की सहमति और समर्थन से उत्तर पश्चिमी सीमांत प्रांत (अब खैबर पख्तूनख्वा) के सैकड़ों पठान कबायली लड़ाकों ने जम्मू-कश्मीर पर हमला कर दिया था। उस समय जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने स्वतंत्र रहने का निर्णय किया था। कबायलियों ने आज के आतंकियों की तरह उस समय बारामूला और अन्य शहरों में नरसंहार, बलात्कार व लूटपाट की थी। चर्च, अस्पताल और मंदिरों पर हमले किए गए थे।
जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय और हमलावरों को खदेड़ा
पाकिस्तानी आक्रमण से घबराए जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने मदद के बदले 26 अक्टूबर को रियासत के भारत में विलय पर हस्ताक्षर कर दिए। इसके बाद श्रीनगर पहुंची भारतीय सेना ने हमलावर कबायलियों को खदेड़ना शुरू किया, काफी हद तक उन्हें खदेड़ भी दिया गया लेकिन मिशन पूरा होने से पहले भारत संयुक्त राष्ट्र (यूएन)में चला गया।
यूएन में जाने व युद्धविराम से नाराज थे पटेल
इतिहासकारों के अनुसार तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड माउंटबेटन की सलाह पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कश्मीर का मसला यूएन में ले जाने का फैसला किया था। इतिहासकार आरसी मजूमदार की पुस्तक ‘एन एडवांस्ड हिस्ट्री ऑफ इंडिया’ के मुताबिक पटेल नेहरू के इस कदम से नाखुश थे। वे कश्मीर को आंतरिक मामला मानते थे जिसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर नहीं उठाया जाना चाहिए था। भारत एक जनवरी को 1948 को यूएन में गया था जिसके बाद कश्मीर में युद्ध विराम हुआ। पटेल पूरा कश्मीर हासिल किए बिना युद्ध विराम से सहमत नहीं थे। राजमोहन गांधी ने अपनी पुस्तक पटेल:ए लाइफ में लेखिका दरलिंगटन के हवाले से कहा कि पटेल पूरा कश्मीर लिए बिना युद्धविराम के निर्णय से निराश थे और उसे रणनीतिक भूल मानते थे। नेहरू ने युद्धविराम स्वीकार किया जिससे पाकिस्तान के कब्जे वाला जम्मू-कश्मीर का हिस्सा आज पीओके के रूप मेें मौजूद है। मोदी ने इसका जिक्र मां भारती की भुजाएं कटने के रूप में किया।
‘कटनी चाहिए थी जंजीरें, लेकिन 1947 में काट दी गईं भुजाएं’
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘1947 में मां भारती के टुकड़े हुए। कटनी चाहिए थी जंजीरें, लेकिन काट दी गईं भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए और उसी रात पहला आतंकी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकियों के बलबूते पर मुजाहिदीनों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदीनों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की बात मान ली गई होती, तो 75 साल से चला आ रहा ये सिलसिला (आतंकी घटनाओं का) देखने को नहीं मिलता।’
पाकिस्तान सामने से युद्ध में नहीं जीत सकता इसलिए…
पीएम मोदी ने पाकिस्तान का जिक्र करते हुए कहा, ‘जब भी पाकिस्तान के साथ युद्ध हुआ, तीनों बार भारतीय सशस्त्र बलों ने उन्हें निर्णायक रूप से हराया। यह महसूस करते हुए कि वह प्रत्यक्ष युद्ध नहीं जीत सकता, पाकिस्तान ने छद्म युद्ध का सहारा लिया। उसने आतंकियों को प्रशिक्षित करना और उन्हें भारत में भेजना शुरू कर दिया। इन प्रशिक्षित आतंकियों ने निर्दोष, निहत्थे नागरिकों, यात्रा करने वाले लोगों, होटलों में बैठे लोगों या पर्यटकों के रूप में आने वाले लोगों को निशाना बनाया।’ प्रधानमंत्री मोदी ‘गुजरात शहरी विकास योजना’ के 20वीं वर्षगांठ समारोह में हिस्सा ले रहे थे।
प्रधानमंत्री ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के लिए भारतीय सेना के शौर्य की तारीफ की। उन्होंने कहा, ‘यह वीरों की भूमि है। अब तक जिसे हम छद्म युद्ध कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखने को मिले, उसके बाद हम अब इसे छद्म युद्ध कहने की गलती नहीं कर सकते। कारण स्पष्ट है: जब मात्र 22 मिनट के भीतर नौ आतंकी ठिकानों की पहचान कर उन्हें नष्ट कर दिया गया, तो यह एक निर्णायक कार्रवाई थी। इस बार सब कुछ कैमरों के सामने किया गया, ताकि घर पर कोई सबूत न मांग सके।’
प्रॉक्सी वॉर नहींः पाकिस्तान की रणनीति
मोदी ने कहा, ‘6 मई की रात जो लोग मारे गए, पाकिस्तान में उन जनाजों को स्टेट ऑनर दिया गया। उनके ताबूतों पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, वहां की सेना ने उनको सैल्यूट किया। ये सिद्ध करता है कि आतंकी गतिविधि प्रॉक्सी वॉर नहीं है, ये आपकी (पाकिस्तान) सोची-समझी युद्ध की रणनीति है, आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा।’
सिंधु जल संधि से आप चौंक जाएंगे
पीएम मोदी ने कहा, ‘मैं नई पीढ़ी को बताना चाहता हूं कि इस देश को कैसे बर्बाद कर दिया गया। अगर आप 1960 की सिंधु जल संधि का विस्तार से अध्ययन करेंगे तो आप चौंक जाएंगे। यह तय किया गया था कि जम्मू-कश्मीर की नदियों पर बने बांधों की सफाई नहीं की जाएगी। गाद निकालने का काम नहीं किया जाएगा। तलछट साफ करने के लिए बने निचले गेट बंद रहेंगे। दशकों तक, उन गेटों को कभी नहीं खोला गया। जिन जलाशयों को 100 प्रतिशत क्षमता तक भरना चाहिए था, वे अब केवल 2 प्रतिशत या 3 प्रतिशत तक ही सीमित रह गए हैं।’
अब जनबल से आगे बढ़ेगा ऑपरेशन सिंदूर
पीएम मोदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल की ताकत से शुरू हुआ था। अब यह जनबल से आगे बढ़ेगा। यानी जनबल का मेरा मतलब होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बनें। हम इतना तय कर लें कि विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की अर्थव्यवस्था को चौथे से तीसरे स्थान पर ले जाने के लिए, अब हम कोई विदेशी चीज का इस्तेमाल नहीं करेंगे। देश को बचाना और बनाना है तो ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ सैनिक की जिम्मेदारी नहीं है, ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की भी जिम्मेदारी है।
‘गणेश जी भी विदेश से आते हैं, वो भी छोटी आंखों वाले’
हम गांव-गांव में व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना भी मुनाफा क्यों न हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन, दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेश से आ जाते हैं, वो भी छोटी आंख वाले गणेश जी, गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली के लिए रंग और पिचकारी भी विदेश से आती है।
आप घर जाकर विदेशी सामान के इस्तेमाल की सूची बनाएं
ऑपरेशन सिंदूर के लिए मुझे एक नागरिक के नाते काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाएं। आपके घर में 24 घंटे में कितनी विदेशी चीजों का इस्तेमाल होता है। घरों में हेयरपिन, टूथपिक तक विदेशी चीजें पहुंच रही हैं। हमें मालूम तक नहीं है। आज से 20-25 साल पहले कोई विदेश से आता था तो उनको लिस्ट भेजते थे कि ये सामान ले आना। आज जो विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कुछ लाना है। तो इधर वाले कहते हैं कि यहां सब उपलब्ध है, कुछ मत लाओ। हमें मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए।
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