क्या है डील की खास बातें?
सूत्रों के मुताबिक, इस अंतरिम समझौते के तहत भारत से अमेरिका को निर्यात होने वाले सामानों पर टैरिफ 10% से 20% के बीच रहेगा, जो पहले घोषित 26% रेसिप्रोकल टैरिफ से काफी कम है। इस डील से भारत को टेक्सटाइल, दवाइयों, और ज्वेलरी जैसे क्षेत्रों में अमेरिकी बाजार में बेहतर पहुंच मिलेगी। खासकर, चीन (51%) और बांग्लादेश (35%) पर लगे ऊंचे टैरिफ की तुलना में भारत को प्रतिस्पर्धी लाभ होगा। भारत ने अपनी मांगों पर अडिग रहते हुए डेयरी और चावल जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को डील से बाहर रखा है। वहीं, अमेरिका के कुछ कृषि उत्पादों जैसे पेकन नट्स और ब्लूबेरी पर कम टैरिफ देने पर सहमति बनी है। यह मिनी डील भविष्य में व्यापक व्यापार समझौते की नींव रख सकती है, जिससे दोनों देशों को लंबे समय में फायदा होगा।
कैसे हुई डील?
पिछले कई हफ्तों से भारत और अमेरिका के बीच गहन बातचीत चल रही थी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 9 जुलाई की टैरिफ डेडलाइन से पहले भारत के साथ इस सीमित समझौते को अंतिम रूप देने की इच्छा जताई थी। भारत ने अपनी मांगों पर दृढ़ता दिखाई, जिसके बाद वाशिंगटन ने बातचीत को आगे बढ़ाया।
भारत को क्या फायदा?
निर्यात में बढ़ोतरी: कम टैरिफ से भारतीय उत्पादों की कीमतें अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धी रहेंगी, जिससे टेक्सटाइल, फार्मास्यूटिकल्स, और ज्वेलरी जैसे सेक्टरों को फायदा होगा। बाजार में मजबूती: अन्य एशियाई देशों पर लगे ऊंचे टैरिफ की वजह से भारत को अमेरिकी बाजार में अपनी स्थिति मजबूत करने का मौका मिलेगा। आर्थिक राहत: 26% टैरिफ से बचने से भारतीय निर्यातकों को बड़ी राहत मिलेगी, जिससे व्यापार घाटे पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।
अमेरिका को क्या लाभ?
इस डील के तहत भारत ने अमेरिकी उत्पादों जैसे ऑटोमोबाइल, पेकन नट्स, और ब्लूबेरी पर कम टैरिफ देने की पेशकश की है। इसके अलावा, भारत ने कुछ रणनीतिक आयातों पर शून्य टैरिफ और “फॉरवर्ड MFN” शर्त जोड़ी है, जिससे अमेरिका को भविष्य में बेहतर व्यापारिक शर्तें मिल सकती हैं।
ट्रंप का बयान
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में कहा, “हम भारत के साथ एक डील के बहुत करीब हैं। भारत ने हमें शून्य टैरिफ का ऑफर दिया है, और हम चाहते हैं कि भारतीय बाजार हमारे लिए और खुलें।” उन्होंने यह भी संकेत दिया कि भारत जैसे व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ 15-20% के दायरे में रहेगा।