उन्होंने कहा कि इससे पहले हर साल पाकिस्तानी एजेंसी की ओर से अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा (आईएमबीएल) के पास से कई बोटों और मछुआरों का अपहरण कर लिया जाता था। अपहृत मछुआरों को पाकिस्तान की विभिन्न जेलों में बंद कर दिया जाता था। साथ ही बोटों को जब्त कर लिया जाता था।
आई जागरूकता, सीमा रेखा तक नहीं जाते मछुआरे
हालांकि जूंगी के मुताबिक अब मछुआरों और बोट मालिकों में भी जागरूकता आई है, इसलिए वे अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा तक मछली पकड़ने नहीं जाते। पाकिस्तानी एजेंसी को भी पता है कि अगर वे अंतरराष्ट्रीय समुद्री सीमा रेखा पार कर भारतीय मछुआरों व बोटों का अपहरण कर सीमा रेखा का उल्लंघन करते हैं, तो भारत जवाबी कार्रवाई कर सकता है।
15 अगस्त तक मछुआरों के लिए अवकाश
पोरबंदर सहित गुजरातभर के मछुआरों के लिए 1 जून से मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके साथ ही मछुआरों का करीब ढाई महीने का अवकाश शुरू हो गया है। 15 अगस्त तक अवकाश घोषित किया गया है। पाकिस्तान की जेल में 194 मछुआरे कैद
राज्यसभा में गत मार्च महीने में इस संबंध में विदेश मंत्रालय की ओर से बताया गया कि 1 जनवरी 2025 तक की स्थिति के मुताबिक पाकिस्तान ने 217 भारतीय/संभावित भारतीय मछुआरों की हिरासत को स्वीकार किया। इन सूचियों के आदान-प्रदान के बाद एक भारतीय मछुआरे की मृत्यु हो गई और 22 भारतीय मछुआरों को रिहा कर भारत वापस भेजा गया। वर्तमान में पाकिस्तान में कैद 194 भारतीय मछुआरे हैं जिनमें से 123 गुजरात से हैं। इन 123 मछुआरों में से 33को 2021 में, 68 को 2022 में, 9 को 2023 में और 13 मछुआरों को 2024 में पकड़ा गया था।