बिहार बंद और विरोध प्रदर्शन
वोटर लिस्ट संशोधन के विरोध में विपक्षी महागठबंधन ने 9 जुलाई को ‘बिहार बंद’ का ऐलान किया, जिसके तहत राज्य के विभिन्न जिलों में विरोध प्रदर्शन देखे गए। पटना में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने सड़कों पर उतरकर सड़क जाम की और नारेबाजी की। एक कार्यकर्ता ने कहा, “जब तक सरकार हमारी मांगें नहीं मानती, हम विरोध जारी रखेंगे। सत्ताधारी दल जनता को भ्रमित कर रहा है।” तेजस्वी ने आरोप लगाया कि इस प्रक्रिया से गरीब और वंचित वर्गों के मतदाताओं के नाम हटाए जा रहे हैं, जिससे उनकी पेंशन और राशन जैसी सुविधाएं भी छिन सकती हैं।
‘वोटबंदी’ और दस्तावेजों का मुद्दा
तेजस्वी ने मतदाता सूची संशोधन को ‘वोटबंदी’ करार देते हुए कहा कि आधार कार्ड और मनरेगा कार्ड जैसे दस्तावेजों को मान्य नहीं किया जा रहा, जिससे लाखों बिहारियों, खासकर प्रवासी मजदूरों, को वोट देने से वंचित किया जा सकता है। उन्होंने सवाल उठाया, “बिहार के वे लाखों मजदूर जो गुजरात, दिल्ली, पंजाब में काम करते हैं, क्या वे 18 दिन में लौटकर अपने नाम जुड़वा पाएंगे?” तेजस्वी ने यह भी खुलासा किया कि उनकी पत्नी, जो हाल ही में बिहार की वोटर बनी हैं, का नाम भी वोटर लिस्ट से हटने का खतरा है, क्योंकि उनके पास जन्मस्थान से संबंधित दस्तावेज नहीं हैं।
तेजस्वी का तंज
चुनाव आयोग एक राजनीतिक दल का अंग बन गया है…क्या गुजरात के दो लोग तय करेंगे कि कौन बिहारी मतदाता वोट दे सकता है और कौन नहीं?” उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। मतदाता सूची से गरीब लोगों के नाम हटाने की बड़े पैमाने पर तैयारी चल रही है। पहले उनके नाम हटाए जा रहे हैं, फिर उनकी पेंशन और राशन भी छीन लिया जाएगा।
लालू प्रसाद का तंज
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी इस मुद्दे पर सरकार और चुनाव आयोग पर निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा, “दो गुजराती मिलकर 8 करोड़ बिहारियों के वोट का अधिकार छिनने का प्रयास कर रहे हैं। इन दो गुजरातियों को बिहार, संविधान और लोकतंत्र से सख्त नफरत है। जागो और आवाज उठाओ!”
सुप्रीम कोर्ट में याचिका
वोटर लिस्ट संशोधन के खिलाफ आरजेडी और अन्य विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें इस प्रक्रिया पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि दस्तावेजों की अनुपलब्धता के कारण गरीब और दलित वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।
विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए राहुल गांधी
राजद नेता तेजस्वी यादव, लोकसभा नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, सीपीआई महासचिव डी राजा, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के नेता दीपांकर भट्टाचार्य और बिहार कांग्रेस अध्यक्ष राजेश राम राज्य विधानसभा चुनाव 2025 से पहले बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ महागठबंधन द्वारा बुलाए गए ‘बिहार बंद’ विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए।
प्रदर्शन का कारण और मांग
विपक्ष का आरोप है कि चुनाव आयोग की ओर से चलाया जा रहा मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान पारदर्शिता की कमी से भरा है और इसका मकसद गरीब, दलित और विपक्ष समर्थक मतदाताओं के नाम सूची से हटाना है। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने इसे ‘वोटबंदी’ करार देते हुए इस प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाने की मांग की। तेजस्वी ने कहा, “बिहार में जिस तरह से लोगों के वोटिंग के अधिकार छीने जा रहे हैं, हम इसके खिलाफ सड़कों पर हैं।”