क्या है D4S एंटी ड्रोन सिस्टम
ड्रोन हमलों से मुलाकबला करने के लिए रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने भारत के स्वदेशी ड्रोन, डिटेक्ट, डिटर और डिस्ट्रॉय सिस्टम (D4S) विकसित किया है। इस सिस्टम का निर्माण भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने किया है। DRDO ने कहा कि ताइवान ने भारत से D4 एंटी ड्रोन सिस्टम खरीदने का अनुरोध किया है। इस तरह काम करता है D4S
DRDO ने बताया कि
D4S दुश्मन के ड्रोन को बेअसर करने के लिए सॉफ्ट किल (इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग, जीपीएस स्पूफिंग) और हार्ड किल (लेजर आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार) का उपयोग करता है। D4S ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तानी ड्रोन अटैक को पूरी तरह से नाकाम कर दिया था। चीनी और तुर्की ड्रोन्स के हमलों को बेअसर कर, भारतीय एयर डिफेंस को अभेद बनाकर रखा। D4S सिस्टम को वाहनों या किसी भी इमारत पर लगाया जा सकता है, जो छोटे ड्रोन के खिलाफ भी 360 डिग्री सुरक्षा प्रदान करता है।
तीनों सेना कर रही है D4S का इस्तेमाल: CDS चौहान
इसी साल के मार्च महीने में सेंटर फॉर ज्वाइंट वारफेयर स्टडीज के एक कार्यक्रम में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) अनिल चौहान ने ड्रोन प्रणाली को आधुनिक युद्ध में गेम चेंजर बताया था। चौहान ने कहा कि UAS (unmanned Arial System) अपनी गति और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) युद्ध के तौर तरीकों को बदल रहे हैं और उन्हें घातक बना रहे हैं। चौहान ने कहा कि युद्ध के नए तरीके से निपटने के लिए भारत ने D4S विकसित किया है। इसे सेना, नौसेना और वायु सेना में शामिल किया जा चुका है।
भारत ने किया मल्टी लेयर्ड डिफेंस ग्रिड का टेस्ट
22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले के बाद भारत ने 7 मई को पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर मिसाइलें दागीं। इस हमले में 100 से अधिक आतंकी मारे गए। जिसके बाद पाकिस्तान ने भारत पर ड्रोन्स व मिसाइलों से हमला किया। पाकिस्तान ने चीन और तुर्की निर्मित ड्रोन्स का इस्तेमाल किया। जिससे निपटने के लिए भारत ने D4S सहित अन्य वायु रक्षा प्रणाली का टेस्ट किया। भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने दुश्मन के हवाई खतरे ड्रोन, मिसाइल और एयरक्राफ्ट को न सिर्फ ट्रैक किया गया बल्कि उन्हें समय रहते नष्ट भी कर दिया।