…कुछ जयचंद जैसे लालची लोग
तेज प्रताप यादव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पूर्व ट्विटर) पर भावुक पोस्ट लिखते हुए अपने माता-पिता से सार्वजनिक रूप से संवाद किया। उन्होंने लिखा, ‘मेरे प्यारे मम्मी-पापा… मेरी सारी दुनिया बस आप दोनों में ही समाई है। भगवान से बढ़कर है आप और आपका दिया कोई भी आदेश। आप हैं तो सबकुछ है मेरे पास। मुझे सिर्फ आपका विश्वास और प्यार चाहिए ना कि कुछ और। पापा आप नहीं होते तो ना ये पार्टी होती और ना मेरे साथ राजनीति करने वाले कुछ जयचंद जैसे लालची लोग। बस मम्मी-पापा आप दोनों स्वस्थ और खुश रहें हमेशा।’
पार्टी से निष्कासन के बाद तेज प्रताप यादव ने तोड़ी चुप्पी
इस पोस्ट से साफ है कि तेज प्रताप यादव पार्टी से निष्कासन के बाद खुद को बेहद भावनात्मक और आहत स्थिति में पा रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपने माता-पिता के प्रति पूरी श्रद्धा और समर्पण भी जताया है। उन्होंने अपने पोस्ट में यह भी इशारा किया कि पार्टी में कुछ ऐसे लोग हैं जिन्होंने उनके खिलाफ साजिश की और उनकी स्थिति को कमजोर करने का प्रयास किया। क्या है पूरा मामला?
आपको 24 मई को तेज प्रताप यादव के फेसबुक अकाउंट से एक पोस्ट शेयर की गई थी, जिसमें अनुष्का यादव के साथ उनकी तस्वीर थी और दावा किया गया था कि वे पिछले 12 साल से रिलेशनशिप में हैं। यह पोस्ट कुछ ही समय में सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। हालांकि बाद में इसे डिलीट कर दिया गया और तेज प्रताप ने सफाई देते हुए कहा कि उनका अकाउंट हैक हो गया था और यह सब उनके खिलाफ साजिश के तहत किया गया।
तेज प्रताप छह साल के लिए पाटी से निष्कासित
इस प्रकरण के बाद राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कड़ा रुख अपनाते हुए तेज प्रताप को पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया। लालू यादव ने बयान में कहा, निजी जीवन में नैतिक मूल्यों की अवहेलना करना हमारे सामाजिक न्याय के लिए सामूहिक संघर्ष को कमजोर करता है। ज्येष्ठ पुत्र की गतिविधि, लोक आचरण तथा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार हमारे पारिवारिक मूल्यों और संस्कारों के अनुरूप नहीं है। अतः उसे पार्टी और परिवार से दूर करता हूं।
लालू यादव के इस सख्त फैसले को कई राजनीतिक विश्लेषकों ने राजनीतिक अनुशासन और नैतिकता की पुनर्परिभाषा बताया है। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह फैसला पारिवारिक मतभेदों का नतीजा भी हो सकता है।
तेज प्रताप का भविष्य क्या?
अब सवाल उठ रहा है कि तेज प्रताप यादव का अगला राजनीतिक कदम क्या होगा? क्या वे किसी अन्य पार्टी का रुख करेंगे या खुद की नई राजनीतिक राह बनाएंगे? या फिर वे सिर्फ पारिवारिक सुलह की ओर ध्यान केंद्रित करेंगे? उनके सोशल मीडिया पोस्ट से संकेत मिलता है कि वे अभी भी माता-पिता का स्नेह और आशीर्वाद पाना चाहते हैं और पार्टी के बजाय परिवार की स्वीकृति को प्राथमिकता दे रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने न केवल यादव परिवार को हिलाकर रख दिया है, बल्कि बिहार की राजनीति में भी नए समीकरणों की संभावना को जन्म दिया है। अब देखना यह है कि आने वाले दिनों में इस पारिवारिक और राजनीतिक टकराव का क्या समाधान निकलता है।