दरअसल, डिप्टी सीएम शिवकुमार रविवार को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी द्वारा दिल्ली में ‘संवैधानिक चुनौतियां’ शीर्षक से आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि कांग्रेस के बड़े नेताओं के सामने खुलकर कहा कि कुछ लोग सत्ता साझा करने को तैयार नहीं हैं।
सोनिया गांधी का नाम लेकर क्या बोले शिवकुमार?
इस कार्यक्रम में उन्होंने 2004 में सोनिया गांधी के प्रधानमंत्री पद से हटने के फैसले की सराहना भी की। उन्होंने कहा कि जब राष्ट्रपति ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के लिए कहा, तो उन्होंने कहा मेरे लिए सत्ता महत्वपूर्ण नहीं है। उन्होंने तय किया कि एक सिख, एक अल्पसंख्यक और एक अर्थशास्त्री देश को बचा सकते हैं, इसलिए उन्हें प्रधानमंत्री बनना चाहिए। क्या इतने बड़े लोकतंत्र में किसी ने ऐसा त्याग किया है? क्या आज कोई अपने छोटे से पद का भी त्याग करता है?
पंचायत स्तर पर भी, कई लोग ऐसा नहीं करते। कुछ विधायक और मंत्री सत्ता साझा करते हैं, लेकिन हममें से कुछ लोग सत्ता साझा करने के लिए भी तैयार नहीं होते।
शिवकुमार के शब्दों ने दिए कई संकेत
भले ही इस संबोधन के दौरान शिवकुमार ने सीएम सिद्धारमैया का नाम नहीं लिया, लेकिन इन वाक्यों ने शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच कर्नाटक में सत्ता साझेदारी को लेकर चल रही तनातनी को उजागर कर दिया। इससे यह साफ हो गया कि शिवकुमार क्या चाहते हैं? बता दें कि सत्ता साझेदारी को लेकर सिद्धारमैया ने मीडिया में खुलकर कई बार बयान दिया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कह दिया है कि सत्ता साझेदारी की कोई डील नहीं हुई है। वह अपने पांच साल का कार्यकाल पूरा करेंगे।