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असम में पुलिस ने शुरू किया डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन अभियान, भारी संख्या में ‘संदिग्ध नागरिकों’ को उठाया, बढ़ा तनाव

जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है, उनमें बड़ी संख्या बंगाली मूल के मुसलमानों की है। इस कार्रवाई से समुदाय में डर और घबराहट का माहौल फैल गया है।

भारतMay 26, 2025 / 08:38 am

Siddharth Rai

कार्रवाई दस्तावेजों की जांच के उद्देश्य से पुलिस ने कई लोगों को हिरासत में लिया। (Photo – ANI)

असम पुलिस ने इस हफ्ते के अंत में एक बड़ा अभियान चलाते हुए बड़ी संख्या में लोगों को हिरासत में लिया है। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह कार्रवाई दस्तावेजों की जांच के उद्देश्य से की गई है। हालांकि पुलिस ने यह नहीं बताया कि कुल कितने लोगों को उठाया गया है, लेकिन स्थानीय सूत्रों का दावा है कि शनिवार और रविवार को गुवाहाटी, गोलाघाट, धुबरी, बारपेटा और कछार जिलों से कम से कम 50 लोगों को हिरासत में लिया गया।

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चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य सरकार और पुलिस, दोनों में से किसी ने भी अब तक इस अभियान की प्रकृति या उद्देश्य को लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन अभियान के उद्देश्य से किया गया था।
जानकारी के अनुसार, जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है, उनमें बड़ी संख्या बंगाली मूल के मुसलमानों की है। इस कार्रवाई से समुदाय में डर और घबराहट का माहौल फैल गया है, खासकर इसलिए क्योंकि यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस महीने की शुरुआत में राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे भारत के नागरिक होने का दावा करने वाले बांग्लादेश और म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों की पहचान की 30 दिनों के भीतर पुष्टि करें।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर उनके दस्तावेजों की पुष्टि नहीं होती है, तो मंत्रालय ने आदेश दिया है कि उन्हें 30 दिन बाद देश से निष्कासित कर दिया जाए। ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन (AAMSU) ने इस अभियान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और इसे उत्पीड़न करार दिया है।
ऑल असम माइनॉरिटी स्टूडेंट्स यूनियन के अध्यक्ष रिजौल करीम सरकार ने असम में हाल ही में चलाए गए दस्तावेज जांच अभियान पर टिप्पणी करते हुए कहा है, “असम में विदेशी नागरिकों की पहचान के लिए पूरी प्रक्रिया मौजूद है। हमारे पास सीमा पुलिस, विदेशी न्यायाधिकरण (FTs) हैं और लोग इनके फैसलों के खिलाफ उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में अपील भी कर सकते हैं। लेकिन जो अब किया जा रहा है, वह केवल आतंक का माहौल पैदा करने की कोशिश है। यदि वे सचमुच बांग्लादेशी हैं, तो सरकार को बांग्लादेश के साथ मिलकर उचित समझौता कर उन्हें देश से निष्कासित करना चाहिए।”

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