RSS के प्रचार प्रभारी सुनील आंबेकर ने सम्मेलन को लेकर कहा कि हम अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के अलावा समाज के सभी वर्गों, समुदायों और विचारधारा के लोगों को आमंत्रित कर रहे हैं। हम विपक्षी नेताओं को भी बुलाने के लिए संपर्क साध रहे हैं।
क्या राहुल और सोनिया को मिलेगा न्योता?
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक, संघ के व्याख्यान में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष व कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और उनकी मां और पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को निमंत्रण भेजे जाने की संभावना न के बराबर है। संघ के एक पदाधिकारी ने कहा कि हम उन लोगों से संपर्क कर रहे हैं, जो हमारे संपर्क में रहते हैं या हमारे साथ कामकाजी संबंध रखते हैं। उन लोगों को बुलाने की कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है जो हमारे निमंत्रण को स्वीकार नहीं करेंगे।
राजनायिकों को भी देगा निमंत्रण
संघ व्याख्यान के लिए अल्पसंख्यक समुदाय की प्रमुख हस्तियों, राजनायिकों, धार्मिक हस्तियों को निमंत्रण देगा। संघ ने इसके लिए 17 श्रेणियां और 138 उप-श्रेणियां बनाई हैं। RSS इससे पहले साल 2018 में भी इसी तरह का व्याख्यान आयोजित किया था। इसमें भागवत ने संगठन के विचारों को व्यक्त किया था। साल 2018 का वह आयोजन सिर्फ दिल्ली में हुआ था। इस बार संघ स्थापना शताब्दी वर्ष को देखते हुए इसे देश के कोने-कोने में आयोजित करने की सोच रहा है। जानकारी के अनुसार, बेंगलुरु, कोलकाता और मुंबई में संघ के व्याख्यान आयोजित किए जाएंगे।
आंबेकर ने बताया, पांच परिवर्तनों पर होगी चर्चा
आंबेकर ने कहा कि व्याख्यानों में संघ के 100 वर्षों के अनुभवों की चर्चा होगी। साथ ही, उन क्षेत्रों पर भी बातचीत होगी, जहां संघ और स्वयं सेवकों को आगे बढ़ना है। पांच परिवर्तनों और उन पर किए जा रहे प्रयासों पर भी समाज की भागेदारी की चर्चा होगी। उन्होंने बताया कि इस वर्ष होने वाले व्याख्यान में विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा भारत, स्वयं सेवकों के योगदान से अपनी बढ़ती आशाओं और आकांक्षाओं को कैसे पूरा कर सकता है, इस पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि साल 2018 में सरसंघचालक भागवत ने ‘भविष्य का भारत’ व्याख्यान पर विचार रखे थे। उन्होंने समलैंगिकता, गौरक्षकों, आरक्षण, अंतर्जातीय विवाह और जनसंख्या नीति जैसे कई मुद्दों पर आरएसएस के रुख को स्पष्ट किया। ये व्याख्यान संघ की स्थिति को स्पष्ट करने, आलोचनाओं का प्रतिकार करने और इस बात पर जोर देने के लिए एक अभियान का हिस्सा थे कि हिंदुत्व के बारे में उनका दृष्टिकोण “सर्वव्यापी” है, न कि अल्पसंख्यक-विरोधी या सांप्रदायिक।
संघ ने हर तबके तक पहुंचने की कोशिश की
आंबेकर ने कहा कि संघ ने अपनी 100 साल की यात्रा में समाज के हर तबके तक पहुंचने की कोशिश की है। संघ ने हमेशा यह विचार देने की कोशिश की है कि उसकी विचारधारा अलग नहीं है, बल्कि भारत की स्थापित परंपराओं में निहित है। आंबेकर ने कहा कि आरएसएस का दृष्टिकोण राष्ट्र की प्रगति के लिए सभी के साथ मिलकर काम करना है और संगठन चाहता है कि विकास की इस यात्रा में पूरा देश एक साथ आगे बढ़े।