भाजपा और नीतीश ने आरक्षण की हकमारी की है
तेजस्वी यादव ने कहा कि हम सभी लोगों को जोड़कर ऐसा बिहार बनाएंगे, जिसमें कोई अपमानित महसूस न करे। उन्होंने कहा कि मैं पूछना चाहता हूं कि दलित, पिछड़ा, आदिवासी समाज के लोग क्या कथा सुनाने के अधिकारी नहीं हैं? बिहार से सामंतवाद समाप्त करके दिल्ली के सामंतवाद को खत्म करेंगे। उन्होंने कहा कि भाजपा (BJP) और नीतीश कुमार (Nitish kumar) ने मिलकर 65 प्रतिशत आरक्षण को 9वीं अनुसूची में नहीं शामिल कर 16 प्रतिशत आरक्षण की हकमारी की है, जो शोषितों, वंचितों, पिछड़ों, अतिपिछड़ों, दलितों, आदिवासियों के साथ अन्याय है। एक समय नीतीश की बेहद करीबी थीं रेणु कुशवाहा
रेणु कुशवाहा का राजनीतिक करियर कई दलों से होकर गुजरा है। एक समय वह नीतीश कुमार की बेहद करीबी मानी जाती थीं। वह जदयू में 2014 तक सक्रिय रहीं। 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले वह बीजेपी में शामिल हो गईं। उन्होंने बीजेपी से अपने पति को मधेपुरा का टिकट दिलवाया, लेकिन सफलता नहीं मिली। साल 2019 में वह खगड़िया सीट से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़ना चाहती थीं। टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने भाजपा से किनारा कर लिया। उन्होंने चिराग पासवान की पार्टी LJP(R) का दामन थाम लिया, लेकिन टिकटों की खरीद फरोख्त का आरोप लगाकर उन्होंने 2023 में इस्तीफा दे दिया।
कुशवाहा वोट पर राजद की नजर
जातीय सर्वे के मुताबिक बिहार में कुशवाहा जाति की आबादी 4.27 फीसदी है। बीजेपी (BJP) ने सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम बनाकर कुशवाहा समुदाय को संकेत दिया है। दूसरी तरफ, राजद (RJD) की नजर भी कुशवाहा समुदाय पर है। राजद ने औरंगाबाद से सांसद अभय कुशवाहा को लोकसभा में राजद संसदीय दल का नेता घोषित किया है। 2024 के लोकसभा चुनाव में अभय कुशवाहा ने बीजेपी उम्मीदवार को हराया था। नीतीश की पार्टी जदयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा हैं। राजद लगातार अतिपिछड़ा वोट में सेंधमारी की कोशिश कर रही है। इससे पहले राजद सुप्रीमो लालू यादव ने मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाया। समाजवादी खेमे से आने वाले धानुक समुदाय के मंगनी कर्पूरी ठाकुर के दौर से सियासत करते आ रहे हैं।