scriptरूस की S-400 प्रणाली भारत में बनी ‘ब्रह्मास्त्र’, खुद के घर में बेअसर क्यों? | Pakistani drone destroyed, but why was S-400 destroyed in Ukrainian attack | Patrika News
राष्ट्रीय

रूस की S-400 प्रणाली भारत में बनी ‘ब्रह्मास्त्र’, खुद के घर में बेअसर क्यों?

Russias S-400 Fail: रूस की बनाई S-400 एयर डिफेंस प्रणाली भारत में पाकिस्तान के ड्रोन और मिसाइल हमलों को नाकाम करने में बेहद सफल रही, लेकिन यही सिस्टम रूस में यूक्रेन के हमलों को रोकने में बार-बार असफल साबित हुआ।

भारतJun 02, 2025 / 01:38 pm

Shaitan Prajapat

भारत में S-400 की जीत, रूस में शर्मनाक हार (Photo – IANS)

Russias S-400 Fail: रूस की S-400 ट्रायम्फ मिसाइल प्रणाली को विश्व की सबसे आधुनिक और शक्तिशाली एयर डिफेंस प्रणालियों में गिना जाता है। यह प्रणाली हवाई हमलों जैसे कि दुश्मन के लड़ाकू विमान, क्रूज़ और बैलिस्टिक मिसाइल, और ड्रोन को रोकने की जबरदस्त क्षमता रखती है। लेकिन आज की वैश्विक सुरक्षा परिस्थितियों में, S-400 के प्रदर्शन को लेकर दो बिल्कुल अलग-अलग उदाहरण सामने आए हैं– एक भारत में इसकी शानदार सफलता, और दूसरा रूस में बार-बार की विफलताएं।

संबंधित खबरें

भारत में S-400 की शानदार कामयाबी

मई 2025 में जब पाकिस्तान ने एक साथ जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, लुधियाना और भुज जैसे संवेदनशील शहरों पर ड्रोन और मिसाइल हमले किए, तब भारतीय वायुसेना ने पहली बार S-400 प्रणाली का व्यापक रूप से उपयोग किया। इन हमलों में पाकिस्तान ने 50 से अधिक ड्रोन और मिसाइल दागे, लेकिन S-400 ने उन्हें सफलतापूर्वक ट्रैक करके हवा में ही नष्ट कर दिया।
भारत ने इस प्रणाली को अपनी रक्षा रणनीति के हिसाब से ढाल लिया है। S-400 को जम्मू-कश्मीर, पंजाब, राजस्थान और गुजरात में रणनीतिक रूप से तैनात किया गया है। यह प्रणाली 600 किलोमीटर तक लक्ष्य को ट्रैक कर सकती है और 400 किलोमीटर तक हमला करने में सक्षम है। भारत ने इसे मल्टी-लेयर एयर डिफेंस नेटवर्क के तहत तैनात किया है, जहां छोटी दूरी की वायु रक्षा प्रणालियां भी साथ मौजूद हैं। इससे यह प्रणाली ज्यादा प्रभावी और लचीली बन गई है।

रूस में S-400 की शर्मनाक विफलता

दूसरी तरफ, रूस– जिसने S-400 प्रणाली को डिजाइन और विकसित किया यूक्रेन युद्ध में इसका सही उपयोग नहीं कर पाया। 2023 से लेकर अब तक, यूक्रेनी हमलों में रूस की कम से कम 31 S-400 बैटरियां या तो पूरी तरह नष्ट हो चुकी हैं या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुई हैं।
-अगस्त 2023 में यूक्रेन ने क्रीमिया में R-360 नेपच्यून मिसाइल और ड्रोन से S-400 बैटरी को खत्म कर दिया।
-अक्टूबर 2023 में लुहान्स्क और बेर्डियान्स्क में दो और सिस्टम तबाह हुए।
-अप्रैल 2024 में ATACMS मिसाइलों से एक साथ कई रडार और लॉन्चर उड़ाए गए।
-जून 2024 और नवंबर 2024 में HIMARS रॉकेटों ने बेलगोरोड और कुर्स्क क्षेत्र में नुकसान पहुंचाया।
-जनवरी 2025 में एक और रडार मॉड्यूल 96L6E मिसाइल हमले में नष्ट हो गया।
-हर S-400 बैटरी की कीमत लगभग 200 मिलियन डॉलर (1,700 करोड़ रुपये) के आसपास होती है, जिससे रूस को भारी आर्थिक और सामरिक नुकसान हुआ है।
यह भी पढ़ें

डेढ़ साल की प्लानिंग, 117 ड्रोन…40 विमान तबाह: जेलेंस्की ने बताया- रूसी सैन्य ठिकानों को कैसे बनाया निशाना


रूस में नाकामी के प्रमुख कारण

रूस की असफलता के पीछे कई अहम कारण हैं।
अकेली तैनाती: रूस ने अक्सर S-400 को बिना छोटी दूरी की रक्षा प्रणाली (जैसे पैंटसिर या टोर) के तैनात किया, जिससे यह ड्रोन जैसे कम ऊंचाई के लक्ष्यों के खिलाफ कमजोर साबित हुई।
यूक्रेनी रणनीति: यूक्रेन ने पहले ड्रोन, फिर मिसाइल रणनीति अपनाई। ड्रोन रडार और सेंसर को जाम करते हैं, और उसके बाद सटीक मिसाइल हमले S-400 के मूल ढांचे को नष्ट कर देते हैं।
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध: यूक्रेन ने इलेक्ट्रॉनिक जामिंग तकनीकों से S-400 के रडार को अंधा कर दिया, जिससे लक्ष्य पहचानना कठिन हो गया।
ड्रोन की बाढ़: यूक्रेन ने एक साथ सैकड़ों सस्ते ड्रोन छोड़े, जिससे S-400 ओवरलोड हो गया। इतनी संख्या में लक्ष्यों का ट्रैक करना इस प्रणाली के लिए संभव नहीं रहा।
सावधानी की कमी: रूस ने अपने सिस्टम को छिपाने या बार-बार स्थान बदलने की रणनीति नहीं अपनाई, जबकि भारत ने ऐसे सभी उपाय किए हैं।

भारत की सफलता का कारण

भारत की सफलता केवल S-400 की तकनीक नहीं, बल्कि उसकी समझदारी भरी तैनाती और संचालन पर आधारित है।
तकनीकी बदलाव: भारत ने S-400 को अपने रक्षा इकोसिस्टम के अनुसार अपग्रेड किया। पुराने सिस्टम जैसे पेचोरा और आकाश के साथ इसका तालमेल बैठाया गया।
मल्टी-लेयर सुरक्षा: S-400 के साथ-साथ छोटी दूरी की रक्षा प्रणाली भी तैनात की गई हैं, जिससे एक साथ कई स्तरों पर सुरक्षा मिलती है।
रणनीतिक प्रशिक्षण: ऑपरेटरों को उच्च स्तर की ट्रेनिंग दी गई है और युद्धाभ्यास लगातार किए जाते हैं।
सीमित खतरा: पाकिस्तान के हमले यूक्रेन की तरह सैकड़ों ड्रोन नहीं, बल्कि 50-60 तक सीमित रहे, जिससे प्रणाली पर अत्यधिक दबाव नहीं पड़ा।

Hindi News / National News / रूस की S-400 प्रणाली भारत में बनी ‘ब्रह्मास्त्र’, खुद के घर में बेअसर क्यों?

ट्रेंडिंग वीडियो