अत्याधुनिक तकनीक ने युद्ध में बदली रणनीति
इस सैन्य संघर्ष के दौरान भारतीय सशस्त्र बलों ने देश की स्वदेशी तकनीकों जैसे नेविगेशन सिस्टम, एयर डिफेंस इंटरसेप्शन, सटीक हमला क्षमता और सॉफ्ट व हार्ड किल तकनीकों का एकीकृत रूप से इस्तेमाल किया। इन तकनीकों ने न केवल दुश्मन की ओर से हो रहे हमलों को रोकने में मदद की, बल्कि पाकिस्तान के अंदर स्थित रणनीतिक ठिकानों पर गहराई से सटीक प्रहार करने की भी क्षमता प्रदर्शित की।
AI आधारित एयर कमांड सिस्टम बना रक्षा कवच
भारतीय सेना ने इस संघर्ष में AI आधारित क्लाउड-इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम (IACCS) का उपयोग कर शत्रु के किसी भी हवाई खतरे की स्थिति को पहले ही पहचान लिया और उसके अनुसार रणनीतिक प्रतिक्रिया दी। इस सिस्टम के माध्यम से दुश्मन के हवाई गतिविधि का रडार चित्र विश्लेषित कर उसे ज़मीनी, समुद्री और हवाई प्लेटफॉर्म से निष्क्रिय किया गया। एक रक्षा अधिकारी ने बताया, इस सिस्टम के माध्यम से भारतीय बलों ने यह साबित किया कि वे किसी भी हवाई खतरे को न सिर्फ पहचान सकते हैं, बल्कि उसका सामूहिक और समन्वित जवाब भी दे सकते हैं।
आधी सदी पहले रखी गई नींव, अब दिखा परिणाम
AI और रक्षा तकनीकों का यह उपयोग कोई आकस्मिक उपलब्धि नहीं है। इसकी नींव छह साल पहले 2018 में रखी गई थी जब रक्षा मंत्रालय (MoD) ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से AI की रणनीतिक भूमिका को लेकर एक मल्टी-स्टेकहोल्डर टास्क फोर्स बनाई थी। इस टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर रक्षा मंत्रालय ने Defence AI Council (DAIC) और Defence AI Project Agency (DAIPA) की स्थापना की, जो सशस्त्र बलों में AI के व्यापक उपयोग के लिए नीतिगत और संरचनात्मक मार्गदर्शन प्रदान कर रही है।
2026 तक 129 AI आधारित रक्षा परियोजनाएं, 77 पूर्ण
सरकार ने 2022 में रक्षा सार्वजनिक उपक्रमों के लिए एक AI रोडमैप तैयार किया था, जिसके अंतर्गत 70 रक्षा-विशेष परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जिनमें से 40 पूरी हो चुकी हैं। वर्ष 2026 तक कुल 129 AI परियोजनाएं स्वीकृत हैं, जिनमें से 77 पहले ही पूरी की जा चुकी हैं। प्रत्येक रक्षा सेवा को AI कार्यान्वयन के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) की AI पहल
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने एक AI आधारित सिस्टम तैयार किया है, जो दुश्मन के विमानों की गतिविधियों को पहचानने और वर्गीकृत करने की क्षमता रखता है। यह प्रणाली एयरफोर्स के IACCS में शामिल की जा रही है, जिससे वायु संचालन के दौरान समग्र स्थिति की जानकारी मिलती है और वायु रक्षा में त्वरित प्रतिक्रिया संभव हो पाती है।
सेना का Intercept Management System (IMS)
भारतीय सेना ने भी पश्चिमी मोर्चे पर दुश्मन की गतिविधियों को ट्रैक करने और विश्लेषण के लिए AI आधारित Intercept Management System (IMS) विकसित किया है। यह सिस्टम डेटा साइंस और विज़ुअल तकनीकों के माध्यम से इंटरसेप्ट किए गए डेटा का विश्लेषण करता है और सटीक खुफिया जानकारी प्रदान करता है। भविष्य की रक्षा रणनीति में टेक्नोलॉजी होगी निर्णायक
इस चार दिवसीय संघर्ष ने स्पष्ट कर दिया कि युद्ध केवल हथियारों का ही नहीं, तकनीक और बुद्धिमत्ता का भी मैदान बन चुका है। भारत की रणनीतिक बढ़त AI, नेविगेशन, डेटा एनालिटिक्स और रियल-टाइम निर्णय क्षमता जैसे अत्याधुनिक टूल्स की बदौलत संभव हो सकी। इस युद्ध ने भारत की तकनीकी क्षमता को दुनिया के सामने और भी स्पष्ट कर दिया है। भारत अब न केवल एक सैन्य ताकत है, बल्कि तकनीकी रूप से भी वह भविष्य की युद्ध रणनीतियों में निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है।