scriptजम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘पहलगाम हमले को नजरअंदाज नहीं कर सकते’ | On the issue of granting statehood to Jammu and Kashmir, the Supreme Court said, 'An attack like Pahalgam cannot be ignored' | Patrika News
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जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ‘पहलगाम हमले को नजरअंदाज नहीं कर सकते’

सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र को 8 हफ्ते का समय दिया है। कोर्ट ने जमीनी हकीकत और पहलगाम आतंकी हमले का हवाला देते हुए कहा कि इन परिस्थितियों को ध्यान में रखना होगा। मामले की अगली सुनवाई 8 हफ्ते बाद होगी

भारतAug 14, 2025 / 02:31 pm

Mukul Kumar

प्रस्तुति के लिए इस्तेमाल की गई प्रतीकात्मक तस्वीर। फोटो- IANS

जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग वाली याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान, कई याचिकाओं पर जल्द सुनवाई को लेकर अदालत ने चिंता भी जताई।

भारत के मुख्य न्यायाधीश बी।आर। गवई और न्यायमूर्ति के। विनोद चंद्रन की पीठ ने मामले को आठ हफ्ते बाद सूचीबद्ध करने के केंद्र के अनुरोध को स्वीकार करते हुए जमीनी हकीकत और हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का हवाला दिया।

चीफ जस्टिस ने क्या कहा?

मुख्य न्यायाधीश गवई की अगुवाई वाली पीठ ने पहले सुनवाई की मांग करने वाले आवेदकों से कहा कि आपको जमीनी हकीकत को भी ध्यान में रखना होगा। पहलगाम में जो हुआ है, उसे आप नजरअंदाज नहीं कर सकते।
शीर्ष अदालत उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिनमें तर्क दिया गया था कि राज्य का दर्जा देने में लगातार देरी है, जिससे जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के अधिकार गंभीर रूप से प्रभावित हो रही है।

आवेदन में क्या दिया गया है तर्क?

आवेदनों में तर्क दिया गया है कि समयबद्ध सीमा के भीतर राज्य का दर्जा बहाल न करना संघवाद का उल्लंघन है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी कि अनुच्छेद 370 पर फैसले को 21 महीने हो चुके हैं। राज्य का दर्जा बहाल करने की दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई है।

उन्होंने आगे कहा कि जब सॉलिसिटर जनरल ने राज्य का दर्जा बहाल करने का आश्वासन दिया था, तब संविधान पीठ ने केंद्र सरकार पर भरोसा किया था।

वहीं, सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय से जम्मू-कश्मीर की वर्तमान स्थिति पर विचार करने का आग्रह किया।
इसके साथ, मांग की कि याचिकाओं को आठ सप्ताह बाद सूचीबद्ध किया जाए, क्योंकि यह मामले पर विचार करने के लिए सही समय नहीं है।

मेहता ने कहा कि मुझे नहीं पता कि इस समय यह मुद्दा क्यों उठाया जा रहा है, लेकिन इसे आठ हफ्तों बाद सूचीबद्ध करें। मैं निर्देश लूंगा। मेरी प्रार्थना आठ हफ्तों की है क्योंकि यह विशेष चरण मामले को और उलझाने के लिए सही नहीं है।

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