‘सिग्नेचर कैंपेन’ को विपक्ष ने बताया राजनीतिक नाटक
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के वरिष्ठ नेता वहीद पारा ने कहा कि उमर अब्दुल्ला को हस्ताक्षर अभियान नहीं, बल्कि माफ़ी मांगनी चाहिए। 50 विधायकों के समर्थन के साथ उन्होंने 5 अगस्त से पहले की स्थिति बहाल करने के वादे पर घर-घर जाकर वोट मांगने के बाद जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे की लड़ाई को केवल दिखावटी इशारों तक सीमित कर दिया है। यह सिर्फ पीछे हटना नहीं, बल्कि विश्वासघात है। लोगों ने उन्हें अनुच्छेद 370 और राज्य के दर्जे के लिए लड़ने के लिए ऐतिहासिक जनादेश दिया था, न कि राजनीतिक नाटक करने के लिए।
उमर को मांगनी चाहिए माफी
वहीद पारा ने कहा कि अगर उमर पहले ही आत्मसमर्पण कर चुके हैं, तो उन्हें इसे स्वीकार करना चाहिए और जम्मू-कश्मीर के हर नागरिक से उन वादों के लिए माफी मांगनी चाहिए जिन्हें उन्होंने कभी पूरा नहीं किया। अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में उमर ने कहा कि हमें दफ्तरों से बाहर निकलना होगा और अब हमें उन दरवाजों तक अपनी आवाज उठानी होगी जहां हमारे फैसले लिए जा रहे हैं। अब तक हमने पत्रों, प्रस्तावों और बैठकों के जरिए अपनी आवाज उठाई है। अब हम जम्मू-कश्मीर के हर गांव से दिल्ली तक अपनी आवाज उठाएंगे। उन्होंने कहा कि आज मेरा इरादा यही है कि सुप्रीम कोर्ट ने हमें आठ हफ्ते का समय दिया है। अब से मैं और मेरे साथी खाली नहीं बैठेंगे। हम थकेंगे नहीं। हम इन आठ हफ्तों का इस्तेमाल जम्मू-कश्मीर के हर 90 विधानसभा क्षेत्रों तक पहुंचने के लिए करेंगे।
सज्जाद लोन ने भी उठाए सवाल
पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन ने हस्ताक्षर अभियान शुरू करने के पीछे के तर्क पर सवाल उठाते हुए कहा कि विधानसभा में प्रस्ताव पारित करने की संवैधानिक गरिमा होती। राज्य के दर्जे की दिशा में किसी भी आंदोलन को समर्थन देने का वादा करते हुए लोन ने कहा कि हस्ताक्षर अभियानों की कोई कानूनी या संवैधानिक पवित्रता नहीं होती। क्या सीएम साहब, कृपया, एक बार और हमेशा के लिए विधानसभा में पूर्ण राज्य का दर्जा देने का प्रस्ताव पारित कराने में अपनी अनिच्छा का स्पष्टीकरण दे सकते हैं?