क्या है मामला?
रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार को करीब 11:30 बजे बीएमसी कार्यालय में जनसुनवाई के दौरान 6-7 अज्ञात व्यक्तियों ने रत्नाकर साहू के चैंबर में अनधिकृत रूप से प्रवेश किया। हमलावरों ने साहू का कॉलर पकड़कर उन्हें बाहर घसीटा, गालियां दीं, और उनके चेहरे पर लात-घूंसे मारे। वीडियो में साहू को फर्श पर घसीटते और मारपीट करते हुए देखा जा सकता है। इस हमले में एक बीजेपी कॉर्पोरेटर का नाम भी सामने आया है, जिसके कथित तौर पर एक पराजित बीजेपी विधायक उम्मीदवार से संबंध बताए जा रहे हैं।
राजनीतिक हंगामा और गिरफ्तारी
घटना के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। रत्नाकर साहू ने खारवेलनगर पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज की है, जिसमें हमलावरों की क्रूरता का विवरण दिया गया है। ओडिशा प्रशासनिक सेवा संघ (OASA) ने इस घटना के विरोध में सामूहिक अवकाश की घोषणा की थी, लेकिन मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी के कठोर कार्रवाई के आश्वासन के बाद इसे स्थगित कर दिया गया।
तत्काल कार्रवाई की मांग
पूर्व मुख्यमंत्री और बीजू जनता दल (BJD) नेता नवीन पटनायक ने इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे “शर्मनाक” बताया। उन्होंने मुख्यमंत्री माझी से दोषियों और इस हमले के पीछे के राजनीतिक नेताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की। पटनायक ने कहा, “अगर एक वरिष्ठ अधिकारी अपने कार्यालय में सुरक्षित नहीं है, तो आम नागरिकों को क्या सुरक्षा मिलेगी?”
विपक्ष का वार
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने भी इस घटना को “जंगलराज” का प्रतीक बताया और बीजेपी सरकार पर कानून-व्यवस्था की स्थिति को लेकर सवाल उठाए। भुवनेश्वर की मेयर सुलोचना दास ने हमलावरों के साथ आमना-सामना होने की बात कही और बताया कि उन्होंने उन्हें और धमकी दी।
जांच में जुटी पुलिस
पुलिस ने मामले की गहन जांच शुरू कर दी है और डीसीपी मुख्यालय प्रकाश चंद्र पाल ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री माझी ने भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए त्वरित न्याय का वादा किया है।
प्रशासन में गुस्सा
इस घटना ने ओडिशा के प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में आक्रोश पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो ने कानून-व्यवस्था की स्थिति पर सवाल खड़े किए हैं। कई लोगों ने इसे प्रशासनिक व्यवस्था पर हमला करार दिया है।