राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग
दरअसल, उस समय केंद्र ने सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर सुनवाई करते हुए बताया था कि रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने के मुद्दे पर विचार किया जा रहा है। कोर्ट ने केंद्र से इस पर निर्णय लेने को कहा था और स्वामी को यह स्वतंत्रता दी थी कि यदि वे संतुष्ट न हों तो दोबारा कोर्ट आ सकते हैं। उन्होंने अपनी नई याचिका में मांग की है कि 19 जनवरी 2023 के आदेश के अनुसार उनके प्रतिनिधित्व पर जल्द से जल्द और समयबद्ध तरीके से निर्णय लेने का निर्देश दिया जाए। स्वामी की याचिका में कहा गया है कि रामसेतु पुरात्तव स्थल होने के साथ-साथ आस्था और श्रद्धा का केंद्र भी है। याचिका में कहा गया है कि वैज्ञानिक और पुरातात्विक अध्ययन इस बात के प्रमाण हैं कि यह मानव निर्मित संरचना है। इसे श्रद्धालु तीर्थस्थल मानते हैं।
सुब्रमण्यम स्वामी समेत कई लोग राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग कई सालों से उठा रहे हैं। साल 2007 में स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सेतु समुद्रम शिप चैनल परियोजना को रोकने की मांग की थी। इस परियोजना के तहत सरकार 83 किलोमीटर लंबी एक नहर बनाने की योजना पर काम कर रही थी। यह नहर मन्नार की खाड़ी को पाक जलडमरूमध्य से जोड़ती। स्वामी समेत कई लोगों का आरोप था कि इस परियोजना से रामसेतु को नुकसान पहुंच सकता है। स्वामी ने मांग की कि राम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर का दर्जा दिया जाए ताकि इसे बचाया जा सके।
क्या है रामसेतु का इस्लाम धर्म से कनेक्शन
इस्लामिक मान्यताओं में इसे ‘आदम का पुल’ इसलिए कहा जाता है, क्योंकि कुछ कथाओं के अनुसार, आदम (हजरत आदम) स्वर्ग से धरती पर उतरने के बाद श्रीलंका की बड़ी चोटी कदम रखा था। उन्होंने श्रीलंका से भारत आने के लिए एक पुल बनाया था। इसे आदम पुल कहते हैं। इस्लामिक विद्वानों का मानना है कि यह संरचना प्राकृतिक है, न कि मानव निर्मित। 1993 में नासा ने इस रामसेतु की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की थीं, जिसमें इसे मानव निर्मित पुल बताया गया था।