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‘मोहन भागवत की गिरफ्तारी के थे आदेश’, मालेगांव मामले पर रिटायर्ड ATS अफसर का बड़ा खुलासा

Malegaon Blast Case: महाराष्ट्र एटीएस के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने आरोप लगाया है कि 2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में भगवा आतंकवाद की कहानी गढ़ने के लिए उन्हें मोहन भागवत को गिरफ्तार करने का निर्देश दिया गया था।

भारतAug 01, 2025 / 04:54 pm

Shaitan Prajapat

रिटायर्ड अधिकारी महबूब मुजावर और मोहन भागवत (Photo-IANS)

Malegaon Blast Case: 2008 के मालेगांव विस्फोट की जांच करने वाले महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) के एक पूर्व अधिकारी ने दावा किया है कि उन्हें इस मामले में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत को गिरफ्तार करने के लिए कहा गया था। बता दें कि 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में गुरुवार को एनआईए की स्पेशल अदालत ने सभी सातों आरोपियों को बरी कर दिया है। रिटायर्ड अधिकारी महबूब मुजावर ने आरोप लगाया कि यह निर्देश जांच अधिकारी परमबीर सिंह की ओर से आया था।

जांच अधिकारी परमबीर सिंह ने दिए थे निर्देश

अधिकारी ने कहा कि मुझे परमबीर सिंह ने निर्देश दिया था और उनके ऊपर के अधिकारियों ने मुझे इन लोगों (राम कलसांगरा, संदीप डांगे, दिलीप पाटीदार और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत) को गिरफ्तार करने के लिए कहा था। महाराष्ट्र में महत्वपूर्ण प्रभाव रखने वाले मोहन भागवत जैसे व्यक्ति को गिरफ्तार करना मेरी क्षमता से बाहर था।

कोर्ट के फैसले के बाद रिटायर्ड अफसर ने किया खुलासा

रिटायर्ड ATS अफसर का यह बयान कोर्ट के उस फैसले के बाद आया जिसमें पूर्व बीजेपी सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर सहित सभी सात आरोपियों को इस विस्फोट मामले में बरी कर दिया। इस बलास्ट में छह लोगों की जान गई ​थी और 100 से ज़्यादा लोग घायल हुए थे। कोर्ट ने विश्वसनीय सबूतों के अभाव, प्रक्रियागत खामियों और गवाहों के अविश्वसनीय बयानों पर ज़ोर दिया जिससे अभियोजन पक्ष का मामला कमजोर हुआ।

नकली अधिकारी की मनगढ़ंत जांच

सेवानिवृत्त अधिकारी ने आरोप लगाया कि इस फैसले ने एक नकली अधिकारी द्वारा की गई मनगढ़ंत जांच को उजागर कर दिया है। उन्होंने आगे दावा किया कि जांच अधिकारी ने उनके गैरकानूनी आदेशों का पालन करने से इनकार करने पर उन्हें झूठा फंसाया था।

झूठे मामले में फंसाया

उन्होंने आगे कहा, उन्होंने मुझसे मृत लोगों को जीवित दिखाकर आरोप पत्र दाखिल करने को कहा। जब मैंने इनकार किया, तो तत्कालीन आईपीएस अधिकारी परमबीर सिंह ने मुझे एक झूठे मामले में फंसा दिया। मैंने विरोध किया क्योंकि मैं झूठे काम में शामिल नहीं होना चाहता था, और परिणामस्वरूप मेरे खिलाफ मनगढ़ंत मामले दर्ज किए गए। मुझे उन सभी मामलों में बरी कर दिया गया है।

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