बचपन में अपने माता-पिता के साथ पटना आए थे और यहीं पले-बढ़े
चार्ली बचपन में अपने माता-पिता के साथ पटना आए थे और यहीं पले-बढ़े। आज वह सियोल में रहते हैं, लेकिन बिहार की मिट्टी, वहां की भाषा और संस्कृति उनके दिल में बसी है। उन्होंने संजय झा को देखकर कहा-“मुझे दही-चूड़ा बहुत पसंद है।” यह सुनकर झा इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने इस मुलाकात को “यादगार और दिल को छू लेने वाला” बताया।
कोरियाई बिहारी’ के नाम से भी जाने जाते हैं
उन्होंने एक्स पर लिखा: यह मुलाकात कुछ अलग और खास थी! सियोल (दक्षिण कोरिया) में यूट्यूबर Yechan C. Lee उर्फ Charlie, जो अपने ठेठ बिहारी अंदाज के लिए ‘कोरियाई बिहारी’ के नाम से भी जाने जाते हैं, उनसे मिल कर खुशी हुई। चार्ली बचपन में अपने माता-पिता के साथ पटना आ गये थे और यहीं पले-बढ़े।
मैथिली शब्दों और भोजपुरी मुहावरों का भी सहज इस्तेमाल करते हैं
दरअसल, चार्ली न सिर्फ हिंदी बोलते हैं, बल्कि मैथिली शब्दों और भोजपुरी मुहावरों का भी सहज इस्तेमाल करते हैं। संजय झा ने इसे बिहार की सांस्कृतिक समृद्धि का प्रमाण बताया और कहा कि “बिहार केवल एक राज्य नहीं, एक भावनात्मक अनुभव है जो कोरिया तक भी महसूस किया जा रहा है।”
परदेस में भारत और बिहार का एहसास
बहरहाल इसी यात्रा के दौरान जब संजयकुमार झा की मुलाकात “कोरियाई बिहारी” चार्ली (Yechan C. Lee) से हुई, तो वह एक सामान्य शिष्टाचार से कहीं आगे एक संस्कृति-पुल बन गई। चार्ली ने जिस आत्मीयता से ‘दही-चूड़ा’ और ‘पटना’ को याद किया, उसने इस यात्रा को भावनात्मक और लोक आंचलिक सांस्कृतिक पहचान की दृष्टि से ऐतिहासिक बना दिया।