सत्ता में रहते उड़ाया धनखड़ का मजाक, इस्तीफे के बाद अब उनके लिए फेयरवेल पार्टी आयोजित करेगा विपक्ष
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफा देने पर लगातार सियासत कर रही विपक्ष अब उनके लिए फेयरवेल डिनर आयोजित कर रही है। सूत्रों के अनुसार यह जानकारी सामने आई है। हालांकि ऐसा कहा जा रह है कि धनखड़ इस न्योते को स्वीकार नहीं करेंगे।
पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक अपने पद से इस्तीफे देने के बाद से ही इस मामले पर सियासत की जा रही है। सत्ता में रहते हुए अक्सर धनखड़ का मजाक उड़ाने और उन पर आरएसएस का पक्ष लेने का आरोप लगाने वाले विपक्ष का रुख इस्तीफे के बाद पूरी तरह बदल गया है। जहां पहले विपक्षी नेता धनखड़ पर भेदभाव के आरोप लगाते थे वहां अब वही लोग उन्हीं के अधिकारों के लिए सरकार से सवाल कर रहे है। विपक्ष लगातार केंद्र से धनखड़ के इस्तीफे पर सफाई देने की मांग कर रहा है। उनका आरोप है कि इसके पीछे स्वास्थ्य कारण नहीं बल्कि कुछ और वजह है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी हाल ही मीडिया से बातचीत करते हुए कहा था हमें तो लगता है दाल में कुछ काला है, सरकार को इस मामले पर जवाब देना चाहिए। खड़गे के अलावा अन्य कई विपक्षी नेताओं ने भी इस इस्तीफे के पीछे राजनीतिक कारण होने की बात कही है। धनखड़ के इस्तीफे के बाद से ही यह बयानबाजी लगातार जारी है। इसी बीच अब खबर आ रही है कि विपक्षी पार्टियों ने धनखड़ को फेयरवेल डिनर के लिए आयोजित किया है।
अचानक इस्तीफे के बाद शुरु हुई सियासत
74 वर्षीय पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ ने स्वास्थ्य कारण बताते हुए सोमवार को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद विपक्षी नेताओं ने यह मुद्दा उठाया था कि धनखड़ को फेयरवेल स्पीच देने का मौका नहीं मिला। उन्होंने मांग कि थी कि धनखड़ को राज्यसभा की कार्य सलाहकार समिति की बैठक में भाषण देने का मौका दिया जाना चाहिए। अब इसे मुद्दे को और हवा देने के लिए विपक्षी पार्टियों ने पूर्व उपराष्ट्रपति के लिए एक फेयरवेल डिनर का आयोजन किया है। हालांकि, ऐसा कहा जा रहा है कि धनखड़ का इस प्रस्ताव को स्वीकार करना मुश्किल है।
विवादित फैसले के बाद अचानक इस्तीफा
धनखड़ के राज्यसभा के सभापति रहते हुए लिए गए एक विवादित फैसले के बाद ही इस इस्तीफे की खबर सामने आई थी। सोमवार को धनखड़ ने विपक्षी सांसदों द्वारा पेश किया गया एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव स्वीकार किया था। यह प्रस्ताव कैश कांड में फंसे जस्टिस यशवंत वर्मा को उनके पद से हटाने के लिए पेश किया गया था। इस मामले में कार्रवाई शुरु करने को लेकर केंद्र ने लोकसभा में एक अलग प्रस्ताव तैयार किया था। इस प्रस्ताव पर विपक्ष के हस्ताक्षर पहले ही ले लिए गए थे और सरकार चाहती थी कि वह इस मामले की अगुवाई करे ताकि मामला उनके नियंत्रण में रहे। लेकिन धनखड़ के विपक्षी नेताओं के प्रस्ताव को स्वीकार करने से सरकार की योजनाओं पर पानी फिर गया।
विपक्ष के प्रस्ताव को स्वीकार करने पर हुई उच्च-स्तरीय बैठक
सूत्रों के अनुसार, धनखड़ के इस कदम की सूचना तुरंत प्रधानमंत्री को दी गई थी और उसी शाम सरकार ने वरिष्ठ मंत्रियों के साथ एक उच्च-स्तरीय बैठक आयोजित की थी। इस बैठक के बाद सांसदों को एक जवाबी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने और अगले चार दिनों तक दिल्ली में ही रहने के लिए कहा गया था। सरकार की यह प्रतिक्रिया योजना सामने आने के तुरंत बाद ही धनखड़ ने अपने इस्तीफे की घोषणा कर दी थी।
नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरु
इस्तीफे के कुछ ही दिन बाद ही नए उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया शुरु कर दी गई है। शुक्रवार को चुनाव आयोग ने राज्यसभा के महासचिव पी.सी. मोदी को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए रिटर्निंग ऑफिसर नियुक्त किया था। रिटर्निंग ऑफिसर, उपराष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया का संचालन करने वाला मुख्य अधिकारी होता है। हालांकि संविधान के अनुच्छेद 68(2) के अनुसार उपराष्ट्रपति के इस्तीफे की स्थिति में चुनाव कराने के लिए कोई निश्चित समय-सीमा नहीं होती है। लेकिन इसमें प्रावधान है कि यह चुनाव जितना जल्दी हो सके उतना जल्दी आयोजित किया जाना चाहिए।
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