मिडिल ईस्ट में दुनिया का 30 फीसदी से ज्यादा तेल और गैस
मिडिल ईस्ट (Middle East) से दुनिया का 30 फीसदी से ज्यादा तेल और गैस निकलता है। यहां से स्ट्रेट ऑफ होर्मुज यानी जलडमरूमध्य भी है। जोकि दुनिया की 20 फीसदी तेल और गैस सप्लाई का रास्ता है। स्ट्रेट ऑफ होर्मुज साऊदी अरब, कतर, UAE, इराक, बहरीन और कुवैत जैसे देशों से तेल और गैस की सप्लाई के लिए जरूरी है। जिस पर इस सैन्य झड़प का प्रभाव पड़ने से सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। इससे तेल की कीमतें बढ़ जाएंगी। विशेषज्ञों ने कहा कि ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज (OPEC) रोजाना 32 लाख बैरल तैल निकालता है। होमुर्ज जलडमरूमध्य से 2.1 करोड़ बैरल तेल और 8 करोड़ टन नेचुरल गैस का ट्रांसपोर्टेशन होता है। अगर ईरान होर्मुजा जलडमरूमध्य को ब्लॉक करता है तो यह रास्ता खतरे में पड़ जाएगा। इससे भारत सहित वैश्विक अर्थव्यवस्था में महंगाई बढ़ेगी।
यह भी पढे़ं: पुतिन ने ट्रंप को किया बर्थडे विश, यूक्रेन पर नहीं इजरायल-ईरान सैन्य झड़प पर हुई बातचीत ईरान ने दी है इजरायल का साथ देने पर अंजाम भुगतने की धमकी
ईरान ने वैश्विक समुदाय को इजरायल का साथ देने पर बुरा अंजाम भुगतने की धमकी दी है। ईरान ने कहा कि अगर कोई भी देश इजरायल का साथ देता है तो उसे बुरा अंजाम भुगतना होगा। ईरान ने यह धमकी अमेरिका सहित अरब देशों को दी है। अमेरिका का अरब के कई देशों जैसे कि साऊदी अरब, ओमान, कतर में सैन्य अड्डे हैं, जो कि वक्त आने पर इजरायल की मदद कर सकते हैं।
अगर अरब के देश इस सैन्य झड़प में अप्रत्यक्ष रूप से इजरायल की मदद करते हैं तो ईरान उनके रणनीतिक व आर्थिक इलाकों पर हमला कर सकता है। हालांकि, अरब वर्ल्ड ने इजरायली सैन्य कार्रवाई का खुलकर विरोध किया है। साथ ही, ईरान का समर्थन भी किया है। विशेषज्ञों ने कहा कि 2019 में सऊदी अरब के तेल ठिकानों पर हूथियों के ड्रोन हमले के बाद तेल की कीमतें 15% बढ़ी थीं। इस बार भी निवेशकों ने ऐसा ही डर महसूस किया है।
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ईरान- इजरायल सैन्य झड़प के बाद एशिया और यूरोप के शेयर मार्केट में गिरावट देखी गई। जापान का निक्केई शेयर भी 0.9% नीचे रहा, यूके का FTSE 100 सूचकांक 0.39% नीचे बंद हुआ। अमेरिकी शेयर बाजार में गिरावट देखी गई।
80-100 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती है कीमत
विशेषज्ञों ने कहा कि अगर ईरान के तेल उत्पादन और निर्यात सुविधाओं को निशाना बनाया गया, तो कच्चे तेल की कीमत लगभग 80-100 डॉलर प्रति बैरल तक बढ़ सकती है। हालांकि, उन्होंने कहा कि कीमतों में इस तरह की बढ़ोतरी अन्य तेल उत्पादकों को उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेगी। जिससे इंफ्लेशन कंट्रोल किया जा सके।