script‘जानकारी नहीं होगी सार्वजनिक’, PM मोदी की डिग्री मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने सीआईसी के आदेश को किया खारिज | 'Information will not be made public', Delhi High Court rejects CIC order in PM Modi's degree case | Patrika News
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‘जानकारी नहीं होगी सार्वजनिक’, PM मोदी की डिग्री मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने सीआईसी के आदेश को किया खारिज

PM Modi Degree: तुषार मेहता ने कोर्ट में तर्क दिया है कि डेटा जारी करने से एक खतरनाक मिसाल कायम होगी, जिससे सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

भारतAug 25, 2025 / 03:57 pm

Ashib Khan

पीएम मोदी की डिग्री नहीं होगी सार्वजनिक (Photo-IANS)

PM Modi Degree: दिल्ली हाई कोर्ट ने पीएम मोदी की डिग्री से संबंधित जानकारी का खुलासा करने के केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश को खारिज कर दिया है। दरअसल, केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश को दिल्ली विश्वविद्यालय ने चुनौती दी थी। हाई कोर्ट के जस्टिस सचिन दत्ता के आदेश के मुताबिक शैक्षणिक रिकॉर्ड और डिग्री का खुलासा करना अनिवार्य नहीं है। 

CIC ने जांच की दी थी अनुमति

बता दें कि 2016 में केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने 1978 में बीए की परीक्षा पास करने वाले सभी छात्रों के रिकॉर्ड की जांच की अनुमति दी थी और कहा जाता है कि उस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यह परीक्षा पास की थी। दिल्ली विश्वविद्यालय ने सीआईसी के इस आदेश को चुनौती दी थी, जिस पर जनवरी 2017 में पहली सुनवाई के दिन रोक लगा दी गई थी।

तुषार मेहता क्या बोले

सुनवाई के दौरान विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि आरटीआई आवेदन पर सीआईसी के आदेश को रद्द कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि “निजता का अधिकार” “जानने के अधिकार” से अधिक महत्वपूर्ण है।

‘RTI के तहत निजी विवरण मांगना उचित नहीं’

तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि वह विद्यार्थियों की जानकारी को एक प्रत्ययी क्षमता के रूप में रखता है और व्यापक सार्वजनिक हित के अभाव में, केवल जिज्ञासा के आधार पर, आरटीआई कानून के तहत निजी विवरण मांगने को उचित नहीं ठहराता है।

‘सूचना में देरी होगी’

उन्होंने तर्क दिया कि धारा 6 में यह आदेश दिया गया है कि सूचना देनी होगी, यही उद्देश्य है। लेकिन आरटीआई अधिनियम किसी की जिज्ञासा को संतुष्ट करने के उद्देश्य से नहीं है।

कोर्ट के समक्ष रिकॉर्ड पेश करने को तैयार विवि

हालांकि दिल्ली यूनिवर्सिटी ने अदालत से कहा कि वह प्रधानमंत्री मोदी के डिग्री रिकॉर्ड अदालत के समक्ष पेश करने को तैयार है, लेकिन आरटीआई अधिनियम के तहत “अजनबियों द्वारा जांच” के लिए उनका खुलासा नहीं कर सकता।

‘खतरनाक मिसाल कायम होगी’

तुषार मेहता ने तर्क दिया है कि डेटा जारी करने से एक खतरनाक मिसाल कायम होगी, जिससे सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में बाधा उत्पन्न हो सकती है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग “प्रचार पाने के लिए या राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित होकर” रिकॉर्ड चाहते हैं।

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