अंकिता भंडारी हत्या मामला: आरोप और बचाव
अंकिता भंडारी ऋषिकेश स्थित वनंतरा रिसॉर्ट में रिसेप्शनिस्ट के रूप में काम करती थी, जिसे पुलकित आर्य चलाता था। अभियोजन पक्ष का कहना है कि अंकिता को एक वीआईपी ग्राहक को “विशेष सेवा” देने के लिए मजबूर किया जा रहा था, जिसका उसने विरोध किया। इसी के चलते आरोपियों ने उसकी योजनाबद्ध हत्या कर दी। वहीं, बचाव पक्ष ने इस मामले में कहा कि अंकिता ने मानसिक तनाव के कारण आत्महत्या की थी। उनका तर्क था कि अंकिता व्यक्तिगत परेशानियों में थी और वह अपने घर को छोड़कर किसी मित्र से विवाह करना चाहती थी, लेकिन सामाजिक दबाव ने उसे मानसिक रूप से अस्थिर कर दिया था।
व्हाट्सएप चैट्स से खुला अंकिता का दर्द
अभियोजन पक्ष ने कोर्ट में अंकिता और आरोपियों के बीच हुई व्हाट्सएप चैट्स को प्रस्तुत किया। अभियोजन पक्ष ने बताया कि जब से अंकिता भंडारी रिज़ॉर्ट में काम करने आई थी, तब से लेकर घटना तक की व्हाट्सएप चैट्स में साफ़ दिखता है कि वह आरोपियों के व्यवहार और उनके ‘अश्लील प्रस्तावों’ से बेहद परेशान थी। इन प्रस्तावों में उसे अतिरिक्त सेवाएं देने के लिए दबाव बनाया जाता था, जिसके कारण वह रिज़ॉर्ट छोड़ना चाहती थी। एक चैट में अंकिता ने लिखा था, “मैं गरीब हूं, लेकिन क्या मैं खुद को 10,000 में बेच दूंगी?” इससे पता चलता है कि वह मानसिक रूप से कितनी तनाव और तंगहाली में थी।
घटना की भयावहता और मेडिकल टीम की जांच
अंकिता का शव 24 सितंबर 2022 को ऋषिकेश की चीला बैराज नहर से मिला था, जबकि वह कम से कम छह दिनों तक लापता थी। मेडिकल टीम ने जांच में पाया कि अंकिता गलती से नहर में नहीं गिरी थी, बल्कि उसे जोर से धक्का दिया गया था। मेडिकल विशेषज्ञों ने कहा कि अंकिता तेजी से पानी में गिरी, जिससे साफ होता है कि उसे ज़ोर से धक्का दिया गया था।
आखिरी बार अंकिता को आरोपी पुलकित आर्य के साथ देखा गया
अभियोजन पक्ष ने बताया कि 18 सितंबर 2022 की शाम, गवाहों ने अंकिता को रोते हुए फोन पर कहते सुना था, “प्लीज मुझे यहां से ले जाओ।” गवाहों ने यह भी बताया कि उसने स्टाफ से अपने बैग को सड़क तक ले जाने को कहा था। गवाहों ने बताया कि अंकिता को आरोपियों के साथ एक मोटरसाइकिल पर रिज़ॉर्ट से बाहर जाते हुए देखा गया। CCTV फुटेज में अंकिता को पुलकित आर्य के पीछे स्कूटर पर सवार देखा गया। इसके साथ ही दो अन्य आरोपी सौरभ और अंकित भी उनके पीछे मोटरसाइकिल पर थे।
अदालत ने ‘लास्ट सीन थ्योरी’ को माना
चूंकि इस मामले में कोई प्रत्यक्ष गवाह नहीं था, इसलिए अदालत ने ‘लास्ट सीन थ्योरी’ को स्वीकार किया। कोर्ट ने दिल्ली हाई कोर्ट के 2009 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि साक्ष्य की ताकत और गुणवत्ता ही किसी को दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त है, न कि केवल गवाहों की संख्या। कोर्ट ने कहा, ‘यह एक नियम है कि जब हम सरकमस्टेंशियल एविडेंस के आधार पर किसी को दोषी साबित करते हैं, तो सबूत इतने मजबूत और साफ होने चाहिए कि वे सीधे आरोपी के अपराध को दिखाएं और उसकी बेगुनाही को गलत साबित करें।’ कोर्ट ने आगे कहा, ‘सबूत की संख्या नहीं, बल्कि उनकी ताकत और गुणवत्ता मायने रखती है। आपराधिक मुकदमा कोई रेस नहीं है जहां अभियोजन या बचाव की दूरी देखकर जीत तय हो। यह कोई नंबर गेम भी नहीं है जहां सिर्फ परिस्थितियों की गिनती से दोष या बेगुनाही तय हो।’
सजा और फैसला
कोटद्वार की अपर सत्र न्यायाधीश रीना नेगी ने पुलकित आर्य, सौरभ भास्कर और अंकित गुप्ता को हत्या, आपराधिक साजिश और यौन उत्पीड़न से जुड़े अपराधों में दोषी ठहराते हुए भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 201, 354(क) और अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम की धारा 5(1)(घ) के तहत सजा सुनाई।