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भारत-नेपाल की सीमा पर रेलवे लाइन बिछाने वाला है चीन

चीन की ओर तिब्बत-शिनजियांग के बीच 2000 किमी लम्बी नई रेल परियोजना को धरातल पर लाने की तैयारी की जा रही है। यह रेल लाइन चीन के कब्जे वाले भारत के अभिन्न हिस्से अक्साई चिन से गुजरेगी। लाइन का रूट वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक है। इस रेल लाइन के जरिए चीन अपनी सीमा […]

नई दिल्लीAug 13, 2025 / 12:31 am

Kanaram Mundiyar

चीन की ओर तिब्बत-शिनजियांग के बीच 2000 किमी लम्बी नई रेल परियोजना को धरातल पर लाने की तैयारी की जा रही है। यह रेल लाइन चीन के कब्जे वाले भारत के अभिन्न हिस्से अक्साई चिन से गुजरेगी। लाइन का रूट वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक है।

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इस रेल लाइन के जरिए चीन अपनी सीमा को सामरिक दृष्टि से मजबूत करने की तैयारी में हैं। एलएसी यानी भारत की दहलीज तक चीन की नई रेल लाइन को लेकर भारत के लिए चिन्ता का कारण माना जा रहा है। लेकिन भारत की ओर से चीन की नई रेलवे परियोजना को लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।
चीन 2008 से इस नई रेल परियोजना की योजना बना रहा था। अब इसको धरातल पर लाने की तैयारी है। यह रेल लाइन चीन के शिनजियांग के होतान को तिब्बत के ल्हासा को जोड़ेगी। तिब्बत के शिगास्ते-ल्हासा से बीजिंग के बीच रेल सम्पर्क पहले से है। नई लाइन की शुरूआत तिब्बत के शिगात्से से होगी। जो उत्तर-पश्चिम की तरफ नेपाल की सीमा के साथ चलेगी। होतान के मार्ग पर बीच में भारत का अक्साई चिन आ रहा है, जो वर्तमान में चीन के कब्जे में है और यहां से रेल लाइन गुजरेगी। इस रेल मार्ग की औसत ऊंचाई 4500 मीटर होगी। जो कुन्लुन, कराकोरम, कैलाश और हिमालय की पर्वत शृंखलाओं से होकर गुजरेगी।
अन्य रेल सेवा विस्तार की भी तैयारी-
चीन अपनी रेल लाइन को अरूणाचल प्रदेश की सीमा के पास ल्हासा से न्यिंगची रूट से आगे चेंगदू तक बढ़ाने की तैयारी भी कर रहा है। साथ ही नेपाल-तिब्बत सीमा पर ग्यिरोंग व चांबी घाटी में यदोंग काउंटी तक भी रेल चलेगी। जहां 2017 में डोकलाम विवाद हुआ था। चीन पूर्व में यहां सड़क बना चुका है।

भारत के लिए इसलिए चिन्ता-

अक्साई चिन विवाद : अक्साई चिन भारत का हिस्सा है और यह 1950 से चीन के कब्जे में है। 1950 के दशक में चीन ने इसी क्षेत्र में शिनजियांग-तिब्बत हाइवे बनाया था। जो 1962 में भारत-चीन युद्ध का प्रमुख कारण बना। अब इसी रूट के पास रेल लाइन गुजरेगी,जो भारत के लिए खतरे से कम नहीं है।
सीमा सुरक्षा : वास्तविक नियंत्रण रेखा के नजदीक रेल लाइन बिछाने से चीन सीमा पर सेना व सैन्य उपकरणों को तेजी से तैनात कर सकेगा। इससे सीमा पर तनाव बढ़ सकता है। विशेषकर अरूणाचल प्रदेश व सिक्किम क्षेत्र भी इस लाइन के नजदीक रहेंगे। दोनों राज्यों की सीमा पर अधिक चिन्ता रहेगी।
चुनौतियों के बीच बड़ा लक्ष्य-

चीन की नई रेल लाइन बिछाने में चुनौतियां भी है। नए मार्ग पर हिमनद, जमी हुई नदियां और स्थायी रूप से जमी मिट्टी की चुनौतियां रहेगी। रेलवे का पहला खंड शिगास्ते से पखुक्त्सो तक होगा। जो रुतोग व पांगोंग झील के पास से गुजरेगा। इस परियोजना का लक्ष्य 2035 तक ल्हासा को केन्द्र में रखते हुए 5000 किलोमीटर का पठारी रेल नेटवर्क स्थापित करना है।

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