भाजपा सांसद ने कहा, “वहां पर जो हमारी वीरांगनाएं, बहनें थीं, जिनकी मांग का सिंदूर छीन लिया गया… उनमें वीरांगना का भाव नहीं था, जोश नहीं था, जज़्बा नहीं था, दिल नहीं था, इसलिए हाथ जोड़कर गोली का शिकार हो गईं। हाथ जोड़ने से कोई छोड़ता नहीं। हमारे आदमी वहां हाथ जोड़कर मारे गए।”
जांगड़ा ने यह बयान अहिल्याबाई होलकर की 300वीं जयंती के अवसर पर भिवानी में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान दिया। जांगड़ा ने कहा कि जिन महिलाओं ने पहलगाम आतंकी हमले में अपने पति को खोया, अगर उन्होंने अहिल्याबाई होलकर के जीवन से प्रेरणा ली होती, तो शायद हालात कुछ और होते। उन्होंने कहा, “अगर उन यात्रियों को ट्रेनिंग दी गई होती, तो महज़ तीन आतंकवादी 26 लोगों को नहीं मार पाते।”
उन्होंने कहा कि इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अग्निवीर योजना शुरू की है। अगर वहां पहुंचा हर पर्यटक अग्निवीर होता तो वहीं, आतंकियों को घेर लेते और कोई आतंकी लौटकर नहीं जाता। वहीं, पहलगाम हमले के आरोपी आतंकियों के ना पकड़े जाने पर उन्होंने कहा कि सेना ने उन आतंकियों के ठिकानों और आकाओ को नेस्तनाबूद किया है।
एक सवाल का जवाब देते हुए जांगड़ा ने कहा, ‘”बिलकुल लड़ना चाहिए था। अगर लोग लड़ते, तो कम शहादत होती और कम लोग मारे जाते। हाथ जोड़ने से कोई छोड़ता है क्या? वो तो मारने ही आए थे… वो तो आतंकवादी थे, उनके दिल में कोई दया नहीं थी।”