कैसे हुआ खुलासा?
सिक्योरिटी गार्ड नवीन कुमार सिंह को पहले से ही सूचना मिल रही थी कि अस्पताल परिसर में कुछ महिलाएं गलत कामों में लिप्त हैं। इस जानकारी के आधार पर उन्होंने सतर्कता बरती और देर रात दो महिलाओं को संदिग्ध अवस्था में पकड़ा। पूछताछ में इन महिलाओं ने कबूल किया कि वे देह व्यापार में शामिल हैं और अस्पताल परिसर को अपने इस धंधे के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाए हुए थीं।
महिलाओं का कबूलनामा
पकड़ी गईं दोनों महिलाएं कटिहार के सालमारी और बारसोई इलाकों की रहने वाली हैं। उन्होंने पुलिस को बताया कि वे एक रात में तीन से चार ग्राहकों से मिलती थीं और प्रति ग्राहक 300 से 500 रुपये लेकर 1500 से 2000 रुपये तक कमा लेती थीं। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से एक महिला अस्पताल में ही कार्यरत थी, जिसने इस गैरकानूनी गतिविधि के लिए अस्पताल परिसर का उपयोग किया।
अस्पताल कर्मचारियों के शामिल होने आशंका
सिक्योरिटी गार्ड ने संदेह जताया कि इस रैकेट में अस्पताल के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत हो सकती है। उन्होंने कहा कि यह संभव नहीं है कि इतनी बड़ी गतिविधि बिना किसी अंदरूनी सहायता के चल रही हो। पुलिस अब इस बात की गहन जांच कर रही है कि क्या कोई कर्मचारी इन महिलाओं को ग्राहक उपलब्ध कराता था या इस रैकेट में और लोग शामिल थे।
पुलिस की कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए नगर थाना पुलिस ने दोनों महिलाओं को हिरासत में ले लिया है और उनसे पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस इस बात की भी जांच कर रही है कि क्या इस रैकेट का नेटवर्क शहर के अन्य इलाकों तक फैला हुआ था। इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया है, और कई लोग अस्पताल प्रशासन से जवाबदेही की मांग कर रहे हैं।
सदर अस्पताल की बदहाल व्यवस्था
यह पहली बार नहीं है जब कटिहार का सदर अस्पताल विवादों में आया है। पहले भी यहां अवैध गतिविधियों और चिकित्सा व्यवस्था में लापरवाही के मामले सामने आ चुके हैं। इस घटना ने एक बार फिर अस्पताल की सुरक्षा और प्रबंधन पर सवाल उठाए हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि अस्पताल में रात के समय सुरक्षा व्यवस्था बेहद कमजोर है, जिसका फायदा असामाजिक तत्व उठाते हैं।
जांच में जुटी पुलिस
पुलिस ने इस मामले में गहन जांच शुरू कर दी है और यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इस रैकेट में और कितने लोग शामिल थे। साथ ही, अस्पताल प्रशासन से भी इस मामले में जवाब मांगा गया है। यह घटना न केवल कटिहार बल्कि पूरे बिहार में सरकारी अस्पतालों की सुरक्षा और प्रबंधन व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।