भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास ने बुधवार को विदेश मंत्री एस जयशंकर को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने निमिषा प्रिया को बचाने के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने का आग्रह किया।
भारत सरकार से हस्तक्षेप की अपील
जॉन ब्रिटास ने अपने पत्र में लिखा कि मैं भारी मन और गहरी तात्कालिकता के साथ निमिषा प्रिया की फांसी के बारे में लिख रहा हूं, जो 16 जुलाई, 2025 को यमन में निर्धारित है। इस फांसी की दुखद खबर ने उनके परिवार और शुभचिंतकों में व्यापक चिंता और पीड़ा पैदा कर दी है। इस मामले में भारत सरकार को तुरंत हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है। पत्र के माध्यम से ब्रिटास ने केंद्र सरकार की आलोचना भी की। उन्होंने लिखा कि पहले सहायता के आश्वासन के बावजूद, प्रिया के आर्थिक रूप से संकटग्रस्त परिवार की कोई मदद नहीं की गई। इतना ही नहीं, प्रिया को बचाने की पूरी जिम्मेदारी भी उसके परिवार पर छोड़ दी गई।
सांसद बोले- मैंने पहले भी आपको पत्र लिखा था
ब्रिटास ने आगे लिखा कि आपको याद होगा कि मैंने पहले भी आपको पत्र लिखा था, जिसमें मैंने मृतक (यमनी नागरिक) के परिवार से बातचीत के लिए सरकार से सक्रिय हस्तक्षेप का अनुरोध किया था, जिसका उद्देश्य दीया (ब्लड मनी) के माध्यम से निमिषा प्रिया को क्षमादान दिलाना था। ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने तब से, आवश्यक ब्लड मनी राशि, चाहे कितनी भी आवश्यक हो, प्रदान करने की अपनी इच्छा की बार-बार पुष्टि की है। दिनांक 27.04.2022 के अपने उत्तर में, आपने मुझे विनम्रतापूर्वक आश्वासन दिया था कि विदेश में भारतीयों का कल्याण भारत सरकार के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है और निमिषा प्रिया के मामले पर हमारा पूरा ध्यान बना रहेगा।
हालांकि, यह गंभीर चिंता का विषय है कि बाद में आप पलट गए। राज्यसभा में आपने मेरे सवाल के जवाब में कहा कि निमिषा प्रिया की रिहाई के संबंध में कोई भी विचार मृतक के परिवार और निमिषा प्रिया के परिवार के बीच हो सकता है।
ब्रिटास ने कहा कि बिना किसी सक्रिय सरकारी सहायता के आर्थिक रूप से कमजोर परिवार पर अचानक पूरी जिम्मेदारी डाल देना, पहले दिए गए आश्वासनों के बिल्कुल विपरीत है।
निमिषा को बचाने के लिए जुटाए पैसे
ब्रिटास ने बताया कि ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ ने सरकार को पहले ही ‘दीया’ (ब्लडमनी) के रूप में 40,000 डॉलर सौंप दिए हैं, लेकिन उन पैसों का क्या हुआ? अब तक कोई जानकारी नहीं मिली है। देरी या लापरवाही के कारण प्रिया की जान चली जाएगी। अफसोस की बात है कि सरकार ने अब तक आवश्यक वास्तविक राशि या सुविधा प्रयासों पर कोई जरुरी जानकारी नहीं दी है, जिसके कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसमें बहुमूल्य समय नष्ट हो गया है।
बता दें कि ब्रिटास ने सरकार से यमन में हितधारकों की पहचान करने, दीया राशि पर बातचीत करने और सहमत राशि की सूचना देने की मांग की भी है ताकि आगे भुगतान के लिए और भी धनराशि सरकार को सौंपी जा सके।
केरल की 37 वर्षीय भारतीय नर्स को 16 जुलाई को फांसी दी जानी है। निचली अदालत ने उसे यमन के नागरिक की हत्या का दोषी ठहराया था, जिसे देश की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने नवंबर 2023 में बरकरार रखा था।