ऑक्सीजन पार्क बना तो चहके पंछी
खरमाले ने जुन्नर के वडाज गांव में डेढ़ एकड़ बंजर जमीन पर ऑक्सीजन पार्क तैयार किया। इस पार्क में पीपल, महोगनी, नीम, वंशलता जैसे 200 से अधिक देशी वृक्ष रोपे गए हैं, चार छोटे तालाब बनाए गए हैं और पशुओं से रक्षा के लिए खाइयां खोदी गई हैं। पेड़ बड़े होने पर कभी का यह नीरव इलाका अब पक्षियों की चहचहाहट से गूंजता है।
जोड़ रहे हैं लोगोंं को
रमेश का अभियान परिवार तक ही सीमित नहीं रह कर जन-जन की चेतना बने इसलिए खरमाले ठाणे, कोल्हापुर, बारामती सोलापुर, पुणे, सांगली जिलों के 400 से अधिक स्कूलों में अपने खर्चे पर जाकर पर्यावरण संरक्षण, जैव विविधता और जल-प्रबंधन पर संवाद कर चुके हैं। उनकी प्रेरणा से सैकड़ों छात्र वृक्षारोपण, बीजारोपण और कचरा मुक्त पर्यटन में भागीदारी कर रहे हैं। उनका यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया अकाउंट पर्यावरण के स्कूल बन चुके हैं।
मन की बात में मोदी ने किया जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो संवाद मन की बात की 123वीं कड़ी में रमेश खरमाले के प्रेरक कार्य का जिक्र करते हुए उनके अभियान को सराहा। संस्कृति का भी सिपाही
पर्यावरण के साथ-साथ खरमाले जुन्नर की सांस्कृतिक धरोहर के भी प्रहरी हैं। उन्होंने 12 भूमिगत मार्गों, सात प्राचीन गजलक्ष्मी मूर्तियों और ऐतिहासिक स्थलों को फिर से जनमानस से जोड़ा है।
समर्पण का सम्मान
रमेश की तपस्या को सम्मान भी मिला है। उन्हें ‘शिवनेरी भूषण’ पुरस्कार मिल चुका है। पुणे विश्वविद्यालय ने उनके जीवन पर ‘कपल फॉर द एनवॉयरमेंट’ डॉक्यूमेंट्री बनाई है, जिसे एनसीईआरटी के शिलांग सम्मेलन में सर्वश्रेष्ठ शैक्षणिक फिल्म चुना गया।