मुख्यमंत्री ने आत्मसमर्पण को बताया मील का पत्थर
मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा,”यह आत्मसमर्पण न सिर्फ नक्सलियों के हौसले टूटने का संकेत है, बल्कि यह दर्शाता है कि अब उन्हें इस हिंसक विचारधारा पर विश्वास नहीं रहा।” फडणवीस ने आगे कहा कि इन आत्मसमर्पणों से यह स्पष्ट होता है कि सरकार की रणनीति और विकासपरक दृष्टिकोण सही दिशा में काम कर रहे हैं।
गढ़चिरौली के कवांडे गांव का ऐतिहासिक दौरा
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र-छत्तीसगढ़ सीमा पर बसे अत्यंत दुर्गम ‘कवांडे गांव’ का भी दौरा किया, जो अब तक किसी मुख्यमंत्री की यात्रा से वंचित था। उन्होंने यहां के नागरिकों से संवाद कर स्थानीय विकास योजनाओं की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने घोषणा करते हुए बताया कि पिछले 18 महीनों में 28 माओवादी मारे गए, 31 गिरफ्तार हुए और 44 ने आत्मसमर्पण किया, जो एक रिकॉर्ड है। उन्होंने दृढ़ता से कहा, “हमारा लक्ष्य मार्च 2026 तक महाराष्ट्र को नक्सल-मुक्त बनाना है। अब समय आ गया है कि जो लोग अभी भी हथियार थामे हुए हैं, वे आत्मसमर्पण करें या कड़ी कार्रवाई के लिए तैयार रहें।” नक्सलवाद खत्म करने की समयसीमा पर उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ठाना है कि मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त कर दिया जाएगा। इस दिशा में अच्छा काम चल रहा है। महाराष्ट्र इसे लगभग खत्म कर चुका है। लेकिन समस्या छत्तीसगढ़ में बड़ी संख्या में भर्ती होने की थी, जिससे माओवादी गढ़चिरोली में अपनी गतिविधियाँ बढ़ा गए। अब छत्तीसगढ़ की नई सरकार ने केंद्र के साथ मिलकर माओवादियों की कमर तोड़ दी है। जल्द ही पूरे इलाके में सुरक्षा बलों की तैनाती होगी, पुलिस की पकड़ मजबूत होगी और हम मार्च 2026 तक यह लक्ष्य हासिल कर लेंगे।”
पुनर्वास की नीति और सामाजिक समावेश
फडणवीस ने नक्सलियों को संविधान की प्रति भेंट की और उन्हें मुख्यधारा में शामिल होने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने वालों को राज्य सरकार की पुनर्वास नीति के तहत रोजगार, शिक्षा और जीवनयापन के सभी आवश्यक साधन मुहैया कराए जाएंगे। इस मौके पर उन्होंने 13 पूर्व नक्सलियों के सामूहिक विवाह समारोह में भी हिस्सा लिया और इसे सामाजिक परिवर्तन की दिशा में बड़ा कदम बताया।