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CG News: नक्सलियों का पर्चा आया सामने, कहा- हमारे छह लोगों की गद्दारी से मारा गया बसव राजू जानकारों की माने तो इस महत्वपूर्ण पद के लिए पार्टी में दो प्रमुख दावेदार हैं इनमें मिलिट्री विंग प्रमुख थिप्पीरी तिरुपति उर्फ देवजी, मल्लोजुला वेणुगोपाल उर्फ सोनू उर्फ अभय शामिल हैं। पिछले कुछ समय से
नक्सल संगठन में काफी अंतर्कलह की खबरें हैं। ऐसे में संगठन के महासचिव पद पर आम सहमति कायम करना नेतृत्वकर्ताओं के लिए बड़ी चुनौती होगी।
तेलुगु लीडरशीप को फिर मिल सकती है जिम्मेदारी नंबाला केशव राव का स्थान लेने संगठन के दो लीडर मुख्य दावेदार हैं। दोनों ही तेलंगाना के करीमनगर जिले से ताल्लुक रखते हैं। इनमें से एक 68 वर्षीय थिप्पीरी तिरुपति उर्फ देवजी जो कि दलित समुदाय से है। वह वर्ष 2018 से नक्सलियों की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन का प्रमुख बना हुआ है। वहीं मल्लोजुला वेणुगोपाल जो कि ब्राह्मण है लेकिन वह कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी का भाई है।
इस परिवार से अब तक कई सदस्य नक्सल संगठन में हैं। किशनजी बड़ा प्रतिभाशाली होने के कारण कम आयु में ही केंद्रीय कमेटी का सदस्य बन गया था। वर्ष 2011 में पश्चिम बंगाल में एक मुठभेड़ में उसकी मौत हो गई थी। सोनू संगठन का थिंक टैंक माना जाता है। वह अभय के नाम से केंद्रीय कमेटी के बयान जारी करता है। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में छत्तीसगढ़ सरकार से वार्ता का प्रस्ताव उसी के दिमाग की उपज है। माना जा रहा है कि बसव राजू के बाद तेलुगु लीडरशीप से ही किसी एक को जिम्मेदारी दी जा सकती है।
रमन्ना की मौत के बाद कलह खुलकर सामने आई पिछले एक दशक से नक्सल संगठन में नेताओं की महत्वाकांक्षाओं के कारण अंतर्कलह सुनाई दे रही है। कोरोना काल में डीकेएसजेडसी सचिव रमन्ना की मौत के बाद यह कलह खुलकर सामने आ गई थी। जबकि इस पद के लिए किशनजी की पत्नी सावित्री, रामचंद्र रेड्डी उर्फ गुडसा उसेंडी, पक्का हनुमंता उर्फ गणेश उईके की दावेदारी के कारण इस पद पर नई नियुक्ति की घोषणा लंबे समय तक नहीं की गई थी। बाद में गुडसा उसेंडी को प्रभारी बना दिया गया।
संगठन में बनी हुई है नए नेतृत्व की कमी लंबे समय से नक्सल संगठन में नया नेतृत्व सामने नहीं आ रहा है। इसकी वजह से संगठन लगातार कमजोर हो रहा है। वर्तमान में जो केंद्रीय नेतृत्व है उनकी औसत उम्र भी 62 वर्ष बताई जाती है। आलम यह है कि बारह सदस्यों वाली नक्सलियों की शीर्ष संस्था पोलित ब्यूरो में पांच सदस्य बचे थे लेकिन बसव राजू की मौत के बाद अब यह संख्या घटकर चार रह गई है। इसी तरह 24 सदस्यीय केंद्रीय कमेटी में अब मात्र 11 सदस्य ही बचे हैं।
पूर्व महासचिव गणपति भी बन सकता है प्रभारी नक्सल संगठन के पूर्व महासचिव मुपल्ला लक्ष्मण राव उर्फ गणपति ने अस्वस्थता की वजह से वर्ष 2018 में ही महासचिव का पद छोड़ दिया था बताया जाता है कि वह नेपाल के रास्ते फिलिपींस से अपना इलाज करवाकर लौट आया है और इस समय वह देश में ही है। सूत्रों के मुताबिक अगर नक्सल संगठन की सर्वोच्च संस्था पोलित ब्यूरो और केंद्रीय कमेटी की जल्द बैठक नहीं हो पाती है या आम सहमति बनने तक पार्टी का प्रभारी गणपति को भी बनाया जा सकता है।