सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से चल रही जांच में प्रारंभिक स्तर पर रवीन्द्र नाथ टैगोर लॉ कॉलेज कालवा फाटक, मकराना, राज टैगोर इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट, रियाबड़ी, गुरुकृपा महाविद्यालय, पलाड़ा कुचामनसिटी, गुरुकुल कॉलेज ऑफ मैनेजमेंट पलाड़ा, कुचामनसिटी पूरी तरह से फर्जी पाई गई। यानि की इन कॉलेजों का कहीं, केाई अस्तित्व ही नहीं है।
जांच में इनके पूरी तरह से फर्जी होने के बाद विभाग के छात्रवृति के अतिरिक्त निदेशक अशोक कुमार के हस्ताक्षर से जारी आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि शिक्षण संस्थानों ने फर्जी एवं कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर पोर्टल पर पंजीयन कर लिया। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर छात्रवृति प्राप्त कर राजकोष में हानि पहुंचाई गई है।
दिए आदेश में काम में ली गई एसएसओआईडी एवं आईपी एड्रेस तक की डिटेल दी गई। इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि एफआईआर कराकर कार्यवाही से अवगत कराएं। आदेश के दो से तीन दिन होने के बाद भी अब तक एफआईआर नहीं कराए जाने से निदेशालय पर भी उंगलियां उठने लगी है।
बताते हैं कि अतिरिक्त निदेशक अशोक कुमार के आदेश के बाद भी जिला स्तरीय अधिकारी यानि की उपनिदेशक की ओर से एफआईआर नहीं कराया जाना निर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन प्रतीत होता है। इसके बाद भी निदेशालय स्तर के अधिकारियों की ओर से इस पर चुप्पी साधे रखना कई गंभीर सवाल खड़े कर देता है।
एसएसओआईडी भी एक ही मिलने से गहराया संदेह
सूत्रों के अनुसार राज टैगोर इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट गुरुकुल कॉलेज कुचामन, गुरुकृपा कॉलेज पलाड़ा एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर कॉलेज पलाड़ा की सम्बद्धता अलग-अलग विश्वविद्यालयों से दशाई गई है, लेकिन इनको सम्बद्धता देने का कार्य एक ही एसएसओआई से दिया गया है।
यदि मान्यता यानि की सम्बद्धता देने वाले संस्थान अलग-अलग हैं तो फिर एक एसएसओआई भी अलग-अलग होनी चाहिए, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं है। इनकी सम्बद्धता एक ही एसएसओआई आरजेएमआईयू 19960016189 से की गई है। इससे स्पष्ट है कि यह संस्थान संभवत: केवल कागजों में ही बने, और भुगतान कर दिया गया।
तो फिर भुगतान निकल गया तो क्या होगा
सूत्रों के अनुसार फर्जी संस्थानों के खिलाफ एफआईआर होती तो फिर साइबर स्तर पर भी इसकी जांच शुरू हो जाती। इनसे संबंधित खातों में निकली राशियों की निकासी पर भी रोक लग जाती, लेकिन अब एफआईआर नहीं होने के चलते यह पूरी प्रक्रिया लंबित होने लगी है।
अब ऐसे में यदि इन खातों की राशि निकल गई तो फिर इसका जिम्मेदार कौन होगा। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका की ओर से गुरुवार को प्रकाशित खबर में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठया गया था। इसके बाद भी विभाग अभी तक एफआईआर कराने की जगह सो रहा है।
इनका कहना है…
फर्जी संस्थानों के संदर्भ में एफआईआर कराए जाने का मामला प्रोसेस में है। इस संबंध में और भी वस्तुस्थिति सामने आने पर पर जल्द ही एफआईआर कराई जाएगी।
रामदयाल मांजू, उपनिदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग नागौर