राजस्थान में भाइयों ने भरा 21 करोड़ 11 हजार का मायरा, अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़े
यूं तो नागौर जिले के जायल-खिंयाला का मायरा देशभर में प्रसिद्ध है, लेकिन रविवार को जिला मुख्यालय पर झाड़ेली के भाइयों की ओर से भरा गया मायरा अब तक का सबसे बड़ा रहा।
नागौर। मारवाड़ में बेटियां अपने पिता की सम्पत्ति में हिस्सा नहीं मांगती। वहीं दूसरी ओर पिता और भाई भी बहन-बेटी को देने में कोई कमी नहीं रखते हैं। यही वजह है कि कानूनी प्रावधान होने के पिता की सम्पत्ति का बंटवारा बेटों में ही किया जाता रहा है,जिसमें बेटियों की सहमति रहती है। लेकिन जब बेटी को देने का मौका आता है तो भाई व पिता दिल खोलकर मायरा भरते हैं।
यूं तो नागौर जिले के जायल-खिंयाला का मायरा देशभर में प्रसिद्ध है और पिछले कुछ वर्षों से जिले में बड़े-बड़े मायरे भरे गए हैँ, लेकिन रविवार को जिला मुख्यालय पर झाड़ेली के भाइयों की ओर से भरा गया मायरा अब तक का सबसे बड़ा रहा। झाड़ेली गांव के निवासी भंवरलाल पोटलिया, रामचंद्र पोटलिया, सुरेश पोटलिया व डॉ. करण ने डेह निवासी जगवीर छाबा व कमला के बेटे श्रेयांश की शादी में 21 करोड़ 11 हजार का मायरा भरा। जगवीर छाबा भाजपा के प्रदेश महामंत्री रह चुके हैं।
जानिए, मायरे में क्या-क्या – एक किलो सोना – 15 किलो चांदी – 210 बीघा जमीन – एक पेट्रोल पंप – अजमेर में भूखंड – 1.51 करोड़ रुपए नकद
– डेह गांव के 500 परिवार को एक-एक चांदी का सिक्का – वाहन व कपडे आदि मिलाकर कुल 21 करोड़ 11 हजार रुपए क्या होता है मायरा बहन के बच्चों की शादी होने पर पीहर पक्ष की ओर से मायरा भरा जाता है। इसे भात भी कहते हैं। इस रस्म में बेटी के पीहर पक्ष की ओर से बेटे-बेटी की शादी में कपड़े, गहने, रुपए और अन्य सामान दिया जाता है। इसमें बहन-बेटी के ससुराल पक्ष के लोगों के लिए भी कपड़े और जेवरात आदि होते हैं।
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