52 फीसदी लोगों ने कहा – लाइन बिछी हुई है, लेकिन पानी पत्रिका सर्वे में लोगों ने यह भी बताया कि उनके गांव में पानी की लाइन तो बिछा दी, लेकिन उसमें एक बार भी पानी सप्लाई नहीं की गई। मात्र 7.8 प्रतिशत लोगों ने बताया कि एकांतरे जलापूर्ति होती है, जबकि 18.6 ने कहा कि सप्ताह में एक बार और 21.3 प्रतिशत ने कहा कि महीने में ही एक-दो बार पानी आता है।
कनेक्शन के पैसे ले लिए, लेकिन पानी नहीं दे रहे जिले के जनप्रतिनिधियों के साथ आमजन का यह भी कहना है कि घर-घर कनेक्शन देने के एवज में ठेकेदार ने पैसे ले लिए, लेकिन लाइन में एक बार भी पानी नहीं आया। कुछ लोगों का यह भी कहना है कि गांवों में भले ही लाइन बिछा दी, लेकिन मुख्य लाइन से नहीं जोडऩे के कारण पानी नहीं मिल रहा है। सर्वे में लोगों ने यह भी बताया कि कई जगह ठेकेदार ने भुगतान उठाने के लिए मनमर्जी से लाइनें बिछा दी, जिनसे कुछ रसूखदार लोगों को लाभ मिलेगा।
टेंकरों से चला रहे काम गर्मियों के दिनों में ग्रामीण क्षेत्रों में पानी की किल्लत बढ़ जाती है। ऐसे में ग्रामीण नाडी, तालाब, ट्यूबवेल आदि का पानी पीने के काम लेते हैं। कुछ जगह नाडी-तालाब सूख गए हैं, ऐसे में ग्रामीणों को एक-एक हजार रुपए देकर टेंकर मंगवाने पड़ते हैं।