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मुंबई

लड़के के हाथों में हथकड़ी डाली, बहू का बुर्का खींचा… मुंबई धमाके के आरोपी की कहानी, सपा नेता की जुबानी, भड़की सियासत

2006 Mumbai Train Blasts Hearing: सुप्रीम कोर्ट ने 2006 के मुंबई लोकल ट्रेन विस्फोट मामले में सभी 12 आरोपियों को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी है।

मुंबईJul 24, 2025 / 07:14 pm

Dinesh Dubey

Abu Azmi

मुंबई धमाके पर सपा नेता अबू आजमी का सनसनीखेज बयान (Photo- IANS)

2006 के मुंबई लोकल ट्रेन सीरियल बम धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा 12 आरोपियों को बरी किए जाने के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (24 जुलाई) रोक लगा दी है। महाराष्ट्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए महाराष्ट्र समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अबू आजमी ने मीडिया से बात करते हुए सनसनीखेज आरोप लगाए हैं और मामले को फर्जी करार दिया है।

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अबू आजमी ने कहा, “ये लोग (12 आरोपी) पिछले 19 सालों से जेल में हैं। सत्र न्यायालय ने 5 को फांसी और 7 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने यह कहते हुए फैसला पलट दिया कि आरोपियों के खिलाफ कोई ठोस सबूत नहीं है। मैं पूरी जिम्मेदारी से कहता हूं कि इन लोगों को झूठे केस में फंसाया गया है।”

पुलिस पर लगाए गंभीर आरोप

इस दौरान अबू आजमी ने एक चौंकाने वाला दावा भी किया। उन्होंने कहा कि कुर्ला निवासी अताउर रहमान के बेटे को मीरा रोड से गिरफ्तार कर कुर्ला पुलिस स्टेशन लाया गया। उसके बाद पुलिस ने अताउर रहमान और उनकी बहू को भी पकड़कर थाने लाया। सपा नेता ने आगे कहा, “लड़के के हाथों में हथकड़ी डालकर उसे पिता और भाभी के सामने खड़ा कर दिया गया, फिर पुलिस ने बहू का बुर्का खींचकर जमीन पर फेंका और पैरों से रगड़ा। अताउर रहमान को पूरे कपड़े उतरवाकर नंगा किया और उनके बेटे को बेरहमी से पीटा गया। जब आरोपी लड़के ने यह देखा तो उसने पुलिसवालों से कहा कि जो कन्फेशन आप चाहते हैं, वह लिख लीजिए लेकिन मेरे पिता और भाभी को छोड़ दीजिए, उनकी कोई गलती नहीं है।“
सपा नेता ने कहा, “अगर ऐसे ज़ुल्म करके किसी से जबरन बयान लिया जाएगा तो वह न्याय नहीं, एक अपराध है। जिन पुलिस अधिकारियों ने यह किया, उन्होंने असली गुनहगारों को नहीं पकड़ा बल्कि मासूमों को फंसाया। अगर ऐसे कबूलनामे से सजा मिलेगी तो यह लोकतंत्र नहीं है।”
अबू आजमी ने यह भी कहा कि वह इस मामले को बारीकी से जानते हैं और उन अधिकारियों ने सिर्फ अपनी विफलता छुपाने के लिए इन 12 लोगों को फंसाया है। उन्होंने जोर देकर कहा कि मुंबई बम धमाके के असली गुनहगार आज भी बाहर घूम रहे हैं और उन्हें सजा मिलनी चाहिए, न कि निर्दोषों को।

नेताओं ने क्या कहा?

AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने मुंबई ट्रेन ब्लास्ट मामले पर बड़ा बयान दिया है। हैदराबाद से सांसद ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर लिखा, “सुप्रीम कोर्ट ने 2006 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में बरी किए गए आरोपियों पर हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई। सरकार ने जल्दबाजी में अपील की, लेकिन मक्का मस्जिद और अजमेर ब्लास्ट में नहीं की। अगर मालेगांव केस में भी आरोपी बरी हो जाएं तो अपील करेगी? यही असली पैमाना है।”
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के सांसद अरविंद सावंत ने कहा, “मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं, लेकिन जो कुछ भी हुआ वह मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र सरकार के लिए शर्मनाक है… अब 180 से अधिक लोगों की मौत के लिए कोई जिम्मेदार नहीं है? यह जांच कितनी बड़ी विफलता है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है…”
भाजपा नेता किरीट सोमैया ने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं। हमें लगता है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला सुनाने में जल्दबाज़ी दिखाई… हमें पूरा विश्वास है कि जिन्हें फांसी की सज़ा दी गई है, उन्हें फांसी पर लटकाया जाएगा…”
कांग्रेस सांसद प्रणीति शिंदे ने कहा, “मुझे लगता है कि महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में पर्याप्त प्रयास नहीं किए, जिस वजह से 2006 के मुंबई ट्रेन धमाके मामले में 12 आरोपी बरी हो गए। यह स्टे (रोक) उनकी रिहाई पर नहीं है। यह गंभीर चिंता का विषय है। महाराष्ट्र सरकार की ओर से कई स्तर पर चूक हुई है।”

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर लगाया स्टे

गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। लेकिन आज महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए शीर्ष कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि जेल से बाहर आ चुके आरोपियों पर फैसले का असर नहीं होगा। लेकिन जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने मामले के सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया और राज्य सरकार की अपील पर उनसे जवाब मांगा है।
Mumbai train blasts case

मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस में 19 साल में क्या हुआ?

2006 में मुंबई लोकल ट्रेन धमाकों के बाद मुंबई के विभिन्न पुलिस थानों में सात अलग-अलग एफआईआर दर्ज की गई थीं। बाद में इन सभी मामलों की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद विरोधी दस्ते (ATS) को सौंप दी गई। जुलाई और अगस्त 2006 के दौरान एटीएस ने इस मामले में 13 लोगों को गिरफ्तार किया। 30 नवंबर 2006 को जांच एजेंसी ने 13 पाकिस्तानी नागरिकों समेत कुल 30 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया, जिनमें कई अभी भी फरार हैं।
इसके बाद 2007 में विशेष अदालत में मुकदमे की सुनवाई शुरू हुई, जो कई सालों तक चली। 19 अगस्त 2014 को सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया। फिर 11 सितंबर 2015 को विशेष अदालत ने 13 में से 12 आरोपियों को दोषी ठहराया, जबकि एक आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। 30 सितंबर 2015 को अदालत ने पांच दोषियों को मृत्युदंड और सात को उम्रकैद की सजा सुनाई।
इस फैसले के खिलाफ अक्टूबर 2015 में महाराष्ट्र सरकार ने पांच दोषियों की फांसी की सजा की पुष्टि के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की। वहीं सभी 12 दोषियों ने अपनी सजा और दोषसिद्धि को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में अपील दाखिल की। ये अपीलें वर्षों तक विभिन्न पीठों के समक्ष लंबित रहीं।
जून 2024 में, फांसी की सजा पाए आरोपी एहतेशाम सिद्दीकी ने अपीलों की शीघ्र सुनवाई के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट में अर्ज़ी दी। इसके बाद जुलाई 2024 में हाईकोर्ट ने इस मामले की सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति किलोर और न्यायमूर्ति चांडक की खंडपीठ का गठन किया। 15 जुलाई 2024 से इस पीठ ने अपीलों की रोजाना सुनवाई शुरू की।

9 आरोपी जेल से रिहा

31 जनवरी 2025 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी कर आदेश के लिए मामला सुरक्षित रखा और सोमवार (21 जुलाई) को धमाकों के 19 साल बाद सभी 12 दोषियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। इसके साथ ही उन्हें जल्द से जल्द जेल से रिहा करने का आदेश भी दिया। जिसके बाद 11 जीवित बचे आरोपियों में से 9 को महाराष्ट्र की विभिन्न जेलों से रिहा कर दिया गया, जबकि दो लोगों के खिलाफ अन्य मामले लंबित होने की वजह से जेल से नहीं छोड़ा गया। जबकि मौत की सजा पाने वाले एक आरोपी की 2021 में कोविड-19 संक्रमण से मौत हो गई।

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