शिवसेना उद्धव गुट के सांसद संजय राउत ने कहा, आरती साठे की नियुक्ति न्यायपालिका के लिए दुर्भाग्य की बात है। देश की न्यायपालिका को नियंत्रित करने की भाजपा की साजिश है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा के लोग न्यायपालिका में चुने जा रहे हैं।
उधर, विपक्ष के दावे को खारिज करते हुए बीजेपी की राज्य इकाई के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने कहा कि साठे ने पिछले साल पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। एनसीपी शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार ने फरवरी 2023 में महाराष्ट्र बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले द्वारा साठे को महाराष्ट्र बीजेपी प्रवक्ता नियुक्त किए जाने के पत्र का स्क्रीनशॉट पोस्ट किया। पवार ने कहा कि न्यायाधीश के तौर पर उनकी नियुक्ति न्यायिक व्यवस्था की निष्पक्षता पर असर डालेगी। पवार ने कहा, आरती साठे को न्यायाधीश बनान सही नहीं होगा, क्योंकि वह पूर्व में बीजेपी से जुड़ीं थीं। अगर हमारा मामला ऐसे जज के पास जाएगा तो क्या हमें न्याय कैसे मिलेगा? मैं मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध करता हूं कि आरती साठे का नाम हटाया जाए।
‘बीजेपी नेताओं के खिलाफ फैसला कैसे होगा?’
रोहित पवार ने ‘एक्स’ पर कहा, “आरती साठे मैडम ने हाईकोर्ट की न्यायाधीश बनने से पहले अन्य पदों से इस्तीफा देकर कानूनी औपचारिकताएं पूरी की होंगी, इसमें कोई दो राय नहीं है। लेकिन जिस व्यक्ति की जिम्मेदारी किसी राजनीतिक दल का पक्ष रखने की रही हो, वह न्यायिक पद पर आकर मेरिट के आधार पर भाजपा या भाजपा नेताओं के खिलाफ फैसला कैसे देगी? इस पर निश्चित रूप से संदेह है। अगर ऐसा है, तो उनसे निष्पक्ष न्याय की अपेक्षा कैसे की जा सकती है? उन्होंने आगे कहा, “इस संबंध में कॉलेजियम के प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से निवेदन किया है। इसमें कोई संदेह नहीं कि वे जरूर उचित निर्णय लेंगे।” कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वडेट्टीवार ने कहा कि अगर बीजेपी का प्रवक्ता रह चुका व्यक्ति न्यायाधीश बन जाता है तो क्या जनता को न्याय मिलेगा और क्या संविधान की रक्षा हो पाएगी।
हालांकि बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि साठे को पार्टी से इस्तीफा दिए डेढ़ साल बीत गए हैं। उन्होंने कहा, अब उनका बीजेपी से कोई संबंध नहीं है। विपक्ष कॉलेजियम के फैसले की आलोचना कर रहे हैं।