सुनवाई के दौरान बीएमसी ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया कि वह सुबह 6 से 8 बजे के बीच कुछ शर्तों के साथ कबूतरों को दाना डालने की अनुमति देने को तैयार है। इस पर कोर्ट ने सवाल उठाया कि जब पहले सार्वजनिक हित में प्रतिबंध लगाया गया था, तो अब एक व्यक्ति की बात पर फैसला कैसे बदला जा सकता है।
कोर्ट ने बीएमसी को निर्देश दिया कि फैसला बदलने से पहले कानूनी प्रक्रिया का पालन करें, सार्वजनिक नोटिस जारी करें और सभी हितधारकों, विशेषकर नागरिकों से सुझाव लें। अदालत ने यह भी कहा कि बीएमसी सीधे फैसला नहीं ले सकती। सार्वजनिक स्वास्थ्य और नागरिकों के संवैधानिक अधिकारों पर विचार कर निर्णय लेना होगा।
बीएमसी के वकील रामचंद्र आप्टे ने कहा, बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक विशेष समिति नियुक्त की है, जो सार्वजनिक स्वास्थ्य से जुड़े पहलुओं की जांच करेगी। समिति अपनी सिफारिशें तैयार करेगी और इन्हें सौंपने के बाद कोर्ट इन सिफारिशों के आधार पर अंतिम फैसला लेगी।
वहीँ, इस मामले पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “कबूतरों को दाना खिलाने के मुद्दे पर हमें दो बातों का ध्यान रखना होगा। सबसे पहले, लोगों का स्वास्थ्य हमारे लिए महत्वपूर्ण है और उनकी सेहत की रक्षा होनी चाहिए। साथ ही, यह मामला आस्था से भी जुड़ा है, और हमें इसे भी ध्यान में रखना होगा…”
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कबूतरों को दाना डालने पर प्रतिबंध का आदेश ऐसे समय में दिया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली-एनसीआर क्षेत्रों में लाखों आवारा कुत्तों को पकड़कर शेल्टर होम भेजने का फैसला सुनाया।