क्या था पूरा मामला
बुधवार को झांसी के बबीना थाना इलाके में स्थित पंजाबी कॉलोनी में स्मार्ट मीटर लगाने के लिए बिजली विभाग की टीम पहुंची थी। इसी दौरान स्मार्ट मीटर लगाने वाली टीम के साथ कंपनी के ठेकेदार भी साथ में मौजूद थे। जब टीम के द्वारा पान सिंह तोमर के बेटे शिवराम के घर पुराने मीटर हटाने पहुंची तो बेटी सपना तोमर ने मना कर दिया। तभी जेई वैभव रावत से भी बहस होने लगी। इसी दौरान जेई ने बताया कि नया मीटर लगवाना जरुरी है। सरकार के आदेश पर काम हो रहा है। इसी दौरान जेई ने मोबाइल में आदेश दिखाया ही था कि सपना ने मोबाइल गिराने की कोशिश। जब फोन नहीं गिरा तो थप्पडों की बारिश कर दी। इसी को लेकर बवाल मच गया।
क्यों पान सिंह तोमर बने थे बागी
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के पान सिंह तोमर साढ़े छह फिट उंचा कद था। उसने अपनी जमीन के लिए 8 साल तक जूते घिसने पड़े। इससे पहले वह सेना में सूबेदार के पद पर तैनात था। ये डकैत राष्ट्रीय चैम्पियन भी रहा। सूबेदार के पद पर रहते उसने सात सालों तक ये मुकाम अपने नाम कर रखा था। एक बार उसने जमीनी विवाद में अपने रिश्तेदार बाबू सिंह की हत्या कर दी थी। इस घटना के बाद पान सिंह ने खुद को बागी घोषित कर दिया।
तत्कालीन मुख्यमंत्री को दिया था खुला चैलेंज
साल 1981 में पान सिंह तोमर का भाई माता दिन पुलिस की मुठभेड़ में मारा गया था। जिसके बदला लेने के लिए पान सिंह गुर्जर समुदाय के छह लोगों की हत्या कर दी। इस घटना के बाद पान सिंह तत्कालीन सीएम अर्जुन सिंह को खुला चैलेंज कर दिया था। ये बात अर्जुन सिंह को रास नहीं आई । इसके बाद उन्होंने पान सिंह को जिंदा या मुर्दा पकड़ने का फरमान दे दिया। बाद में तात्कालीन डीएसपी ने पान सिंह के गांव के लोगों को नौकरी का लालच देकर पान सिंह को पकड़ने के लिए मुखबिरी कराई। बताया जाता है कि अक्टूबर 1981 में लगभग 10000 की फ़ोर्स ने पान सिंह को घेरकर मार गिराया।