बिहार निवासी नाबालिग लड़की ने बाल कल्याण समिति को बताया कि 19 जुलाई को वह अपने घर से नाराज होकर ट्रेन में सवार होकर दिल्ली पहुंची थी। वहां रेलवे स्टेशन पर एक व्यक्ति ने उसे काम दिलाने और रहने के लिए कमरा देने का लालच देकर मुरादाबाद ले आया। इस व्यक्ति ने कांशीराम नगर में अपनी बहन का मकान बताकर उसे वहां रखा। दो दिन तक उसे काम पर न लगाए जाने पर जब उसने घर लौटने की बात कही, तो आरोपी ने अपने तीन-चार साथियों के साथ उससे जबरदस्ती की। एक माह तक उसका शारीरिक शोषण किया गया। भागने की कोशिश करने पर उसे म्यूजिक सिस्टम की तेज आवाज में पीटा गया, इसके अलावा आरोपी दुष्कर्म करते समय भी म्यूजिक चला देते।
काउंसलिंग में सामने आया कि कांशीराम नगर में बस्ती निवासी एक युवती भी इस मकान में थी, जिसके साथ दो माह से दुष्कर्म हो रहा था। इसी जगह जोया निवासी एक अन्य युवती चार माह से इन दरिंदों के साथ रह रही थी। तीनों ने मिलकर भागने की हिम्मत जुटाई और मुरादाबाद स्टेशन से ट्रेन में सवार हो गईं। सहारनपुर पहुंचने पर उन्हें दूसरी ट्रेन लेने की जानकारी हुई, लेकिन वापस लौटते समय टीटीई स्टाफ ने उन्हें रेस्क्यू कर जीआरपी को सौंप दिया।
बाल कल्याण समिति को सैक्स रैकेट की आशंका
लड़कियों के बयानों से संकेत मिलता है कि उन्हें अलग-अलग रेलवे स्टेशनों से एक ही व्यक्ति ने मुरादाबाद लाया और गलत कामों में धकेल दिया। इससे रेलवे स्टेशनों पर अकेली और लावारिस लड़कियों को रैकेट में शामिल करने की आशंका जताई जा रही है। इस घटना ने जीआरपी की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए हैं। बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष अमित कौशल ने बताया कि नाबालिग सहित दो लड़कियों के साथ बंधक बनाकर दुष्कर्म हुआ, जबकि एक लड़की अपनी मर्जी से वहां थी। पीड़ितों ने कुछ आरोपियों के नाम भी बताए हैं। उनके बयानों के आधार पर मझोला थाने में मुकदमा दर्ज कराया जाएगा। लड़कियों को बाल कल्याण समिति को सौंप दिया गया है, और उनकी काउंसलिंग जारी है।
हालांकि, जीआरपी के सीओ अनिल वर्मा का कहना है कि इन लड़कियों के साथ कोई गलत काम होने की पुष्टि नहीं हुई है। उनका दावा है कि ये लड़कियां पहले भी घर से भाग चुकी हैं और यह मामला घरेलू नाराजगी का हो सकता है। दूसरी ओर, पुलिस इस मामले को गंभीरता से लेते हुए जांच में जुट गई है।