मेरठ जिले के कस्बा सिवालखास के वार्ड नंबर एक की है। यहां श्रीचंद्र के बेटे जितेंद्र और मोनू का घर आमने-सामने है। उसी के पास हिम्मत का घर है। परिजनों के अनुसार, रविवार सुबह करीब 10 बजे जितेंद्र की सात साल की बेटी मानवी, मोनू का आठ साल का बेटा शिवांश और हिम्मत का आठ वर्षीय पुत्र ऋतिक घर के बाहर खेल रहे थे। दोपहर के समय परिजन जब उन्हें खाने के लिए बुलाने निकले तो तीनों कहीं नजर नहीं आए।
परिजनों ने पुलिस में दर्ज कराई गुमशुदगी
शुरुआत में मोहल्ले और पास-पड़ोस में बच्चों को ढूंढा गया। लेकिन कोई पता नहीं चला। इसके बाद पूरे कस्बे में बच्चों की तलाश शुरू की गई। लाउडस्पीकर से घोषणाएं कराई गईं। खेत-खलिहानों में छानबीन की गई। लेकिन तीनों बच्चों का कोई सुराग नहीं लग सका। अंततः पुलिस को सूचना दी गई। जिसने गुमशुदगी दर्ज कर तलाश शुरू कर दी।
दूसरे दिन सुबह घर के पास खाली प्लाट में मिले शव
सोमवार तड़के करीब साढ़े पांच बजे परिजनों को सूचना मिली कि घर के पास स्थित एक खाली प्लॉट में बच्चों के शव पड़े हैं। यह खबर मिलते ही हाहाकार मच गया। मौके पर पहुंचे परिजन दहाड़ें मारकर रोने लगे। देखते ही देखते पूरे मोहल्ले में भीड़ जमा हो गई। गुस्साए लोगों ने पुलिस चौकी पर जाकर प्रदर्शन किया। और जल्द से जल्द दोषियों की गिरफ्तारी की मांग की।
पूरे मोहल्ले में पसरा मातम परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल
परिजनों के अनुसार, शिवांश यूकेजी का छात्र था। ऋतिक नर्सरी में पढ़ता था जबकि मानवी अभी स्कूल नहीं जाती थी। तीनों बच्चों के पिता मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण करते हैं। इस हृदयविदारक घटना ने पूरे कस्बे को झकझोर कर रख दिया है। मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत ने क्षेत्रवासियों को गहरे सदमे में डाल दिया है। पुलिस हर पहलु पर बारीकी से जांच कर रही है।
सीओ बोले- पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मृत्यु के कारण का पता चल सकेगा
सीओ सरधना आशुतोष कुमार ने बताया कि बच्चों की मौत की परिस्थितियों की जांच की जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के सही कारणों का खुलासा हो सकेगा।