रेलवे से मांगी मदद
साथी खिलाड़ियों पवन, राजा, निर्मल और प्रवीन के मुताबिक, उन्होंने इसकी जानकारी ट्रेन में रेलवे के हेल्पलाइन नंबर 139 पर सुबह 4:58 बजे दी। इलाज के लिए मदद मांगी। रेलवे अधिकारियों ने उन्हें मथुरा जंक्शन पर इलाज मिलने की जानकारी दी।बीच में फरीदाबाद, वल्लभगढ़, कोसीकलां स्टेशन पड़े। आझई स्टेशन पर स्टॉप नहीं होने पर ट्रेन काफी देर खड़ी रही। इस दौरान विक्रम की तबीयत और बिगड़ गई।
डॉक्टरों ने जांच के बाद मृत घोषित किया
सुबह 8:17 बजे मथुरा जंक्शन पर ट्रेन पहुंची। रेलवे के चिकित्सकों ने विक्रम की जांच की, लेकिन तब तक उनकी नब्ज थम चुकी थी। चिकित्सकों ने विक्रम को मृत घोषित कर दिया। घटना के बाद, विक्रम के साथी खिलाड़ी जंक्शन पर उतर गए और जीआरपी थाना प्रभारी निरीक्षक को मामले की जानकारी दी। विक्रम के साथियों का आरोप है कि रेलवे हेल्पलाइन पर भी शिकायत दर्ज कराई थी, लेकिन उनका साथी समय पर इलाज नहीं पा सका और उनके साथी की जान चली गई।जीआरपी थाना प्रभारी निरीक्षक ने बताया कि घटना के बाद आवश्यक कार्रवाई की गई और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया।
बीसीसीआई की अनदेखी से खिलाड़ी निराश
भले ही विक्रम की मौत समय पर इलाज न मिलने से हुई, लेकिन दिव्यांग खिलाड़ी इस बात से निराश हैं कि उन्हें टीम इंडिया जैसे क्रिकेटरों की तरह तवज्जो नहीं मिलती। उनका कहना है कि अगर ऐसा बीसीसीआई द्वारा मान्यता प्राप्त किसी घरेलू क्रिकेटर के साथ हुआ होता, तो तुरंत इलाज मिलता, सम्मान को लेकर हलचल मच जाती। लेकिन विक्रम रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म पर पड़ा है और उसकी ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा। कप्तान सोमजीत का कहना है कि उनकी राज्य क्रिकेट एसोसिएशन से भी कोई जवाब या मदद नहीं पहुंची।