क्या है पूरा मामला ?
एफआईआर में नीतू, उसके पति नवीन रोहरा, जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा, और उनके परिवार के 10 अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है। कोर्ट ने नीतू की याचिका खारिज करते हुए कहा कि मामले में गंभीर आरोप हैं।
लखनऊ हाई कोर्ट का क्या कहना था?
न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्र की खंडपीठ ने कहा कि नीतू उर्फ नसरीन के खिलाफ कई गंभीर आरोप हैं। याचिका में नीतू ने दलील दी थी कि उसे गलत तरीके से फंसाया गया, क्योंकि उसने 2015 में यूएई में स्वेच्छा से इस्लाम कबूल किया था। सरकारी पक्ष ने इसका विरोध करते हुए कहा कि एफआईआर में याची के खिलाफ विस्तृत आरोप हैं, जिसमें वह अन्य आरोपियों के साथ मिलकर अवैध गतिविधियों में शामिल थी। कोर्ट ने इस पर भी सवाल उठाया कि धर्म परिवर्तन के बाद नीतू ने कभी अपने पासपोर्ट या अन्य दस्तावेजों में अपना नया नाम नहीं दर्ज कराया और अभी भी अपने पुराने हिंदू नाम का ही इस्तेमाल कर रही है। इस पर कोर्ट ने कहा कि एफआईआर में धोखाधड़ी के आरोप गंभीर प्रतीत होते हैं।
जांच में क्या हुआ?
एटीएस ने इस मामले की जांच शुरू की और पता चला कि मुंबई निवासी नवीन रोहरा, उनकी पत्नी नीतू और नाबालिग बेटी ने 2015 में धर्म परिवर्तन किया। इसके बाद वे बलरामपुर जिले के मधपुर गांव में जमालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा के पास रहने लगे। इस मामले में एटीएस ने 2024 में एफआईआर दर्ज की और जांच तेज की। इस दौरान नवीन रोहरा और महबूब (छांगुर बाबा के बेटे) को गिरफ्तार किया गया। अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद एटीएस मामले की जांच को और बढ़ाने की तैयारी में है, और उम्मीद की जा रही है कि छांगुर बाबा समेत अन्य आरोपी जल्द गिरफ्तार हो सकते हैं।
अब आगे क्या होगा?
एटीएस अब इस मामले में आरोपियों की संपत्तियों की जांच कर रही है और आरोपियों की गिरफ्तारी की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। इस फैसले के बाद मामले में नई घटनाओं की आशंका जताई जा रही है, और यह साफ है कि एटीएस की जांच जल्द ही आगे बढ़ सकती है।