कैसे हुआ खुलासा
जनता अदालत, नागरिक सुविधा दिवस और नियमित जनसुनवाई के दौरान शिकायती गिरोह के खिलाफ आम नागरिकों ने अपनी पीड़ा साझा की। अधिकांश ने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य शुरू होते ही कुछ लोग लगातार शिकायत दर्ज कर देते हैं। इन शिकायतों के पीछे नीयत होती है “रुपये की मांग” और मना करने पर निर्माण को अवैध करार देने की धमकी देना।
उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए आईजीआरएस सेल को 2024 और 2025 में दर्ज की गई सभी निर्माण संबंधी शिकायतों की स्क्रूटनी करने का आदेश दिया।
चौंकाने वाले आंकड़े
- 28 व्यक्तियों ने कुल 2114 शिकायतें दर्ज कराईं।
- एक महिला ने अकेले 171 शिकायतें दर्ज की (19 मई 2024 से 30 मई 2025 तक)।
- दूसरे नंबर पर एक व्यक्ति ने 168 शिकायतें और तीसरे नंबर पर 167 शिकायतें दर्ज की गईं।
- कुछ शिकायतकर्ताओं के नाम लगातार हर महीने 20-30 शिकायतों में सामने आए।
- इनमें से कई लोग पहले से निर्माणकर्ताओं द्वारा ब्लैकमेलिंग के आरोपों में भी संलिप्त पाए गए।
एलडीए की रणनीति और निर्णय
- इन तथ्यों के आधार पर एलडीए उपाध्यक्ष प्रथमेश कुमार ने स्पष्ट किया है कि अब से:
- हर शिकायत की गहन जांच की जाएगी।
- स्थल परीक्षण के बाद ही कोई कार्रवाई होगी।
- झूठी या दुर्भावनापूर्ण शिकायत करने वालों के खिलाफ आवश्यक विधिक कार्रवाई भी की जा सकती है।
- ऐसे लोगों की सूची राज्य शासन को रिपोर्ट के रूप में भेजी जा रही है।
आम नागरिकों पर असर
लखनऊ के कई नागरिक जो अपनी जीवनभर की कमाई और बैंकों से लोन लेकर अपने मकान बना रहे थे, इस गिरोह की वजह से मानसिक दबाव में थे। कई लोगों को शिकायत दर्ज कर वापस लेने के एवज में पैसे देने की मांग भी की गई।
- अब एलडीए के इस कदम से निर्दोष और नियमपूर्वक निर्माण कर रहे लोग राहत की सांस लेंगे।
- शिकायती गिरोह के खिलाफ प्रशासनिक सख्ती का संदेश जाएगा।
- सही तरीके से कार्य कर रहे रियल एस्टेट व्यवसायियों को बिना वजह परेशान नहीं किया जाएगा।
कानूनी पहलू और पारदर्शिता की ओर बढ़ता कदम
शिकायतों के डिजिटल रिकॉर्ड और उसके स्रोतों की जांच से यह साफ हो गया कि कई लोग एक संगठित तरीके से कार्य कर रहे हैं। यह जनहित के नाम पर निजी स्वार्थ के लिए तंत्र का दुरुपयोग है। एलडीए का निर्णय पारदर्शिता और जिम्मेदार शासन की दिशा में एक बड़ा कदम है। अब कोई भी शिकायत बिना तथ्यात्मक जांच के आगे नहीं बढ़ेगी।
- हर शिकायत की डिजिटल और भौतिक जांच होगी।
- यदि शिकायतकर्ता की नियत संदिग्ध पाई जाती है, तो उस पर भी केस बन सकता है।
- एलडीए कार्यालय में जनता अदालत और प्राधिकरण दिवस में प्राप्त मामलों पर वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में फैसला लिया जाएगा।
- एलडीए निर्माण कार्यों में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तकनीकी टीमों को और मजबूत करेगा।
समाज में संदेश और जागरूकता
यह मामला केवल प्रशासनिक सख्ती नहीं, बल्कि एक समाजिक चेतावनी भी है — कि सार्वजनिक तंत्र का दुरुपयोग कर दूसरों को परेशान करने की प्रवृत्ति अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह निर्णय एक मिसाल बनेगा कि कैसे शिकायत प्रणाली का दुरुपयोग करने वालों को बेनकाब और निष्कासित किया जा सकता है।
लखनऊ विकास प्राधिकरण ने शिकायत के नाम पर ब्लैकमेलिंग करने वाले गिरोह की पहचान कर, न केवल एक साहसिक कदम उठाया है, बल्कि निर्माण क्षेत्र में विश्वास और पारदर्शिता की नई नींव रखी है। आने वाले समय में यह व्यवस्था अन्य शहरों के लिए भी प्रेरणा बन सकती है, जहाँ शिकायतों का दुरुपयोग प्रशासन के सामने बड़ी चुनौती बना हुआ है।