खास बातें,जिसकी वजह से बुलाई गई बैठक
- 15 मई को शक्ति भवन, लखनऊ में संविदा कर्मियों का बड़ा प्रदर्शन किया।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लिया संज्ञान।
- संविदा कर्मचारियों की छंटनी के विरोध में उग्र आंदोलन।
- सभी जिलों के डीएम से रिपोर्ट मांगी गई।
- जिलों में अधीक्षण अभियंता और अधिशासी अभियंता से भी मांगा गया जवाब।
डीएम की बुलाई अहम बैठक: ताजा घटनाक्रम के तहत, जिलाधिकारी कार्यालय में बिजली विभाग की स्थिति की समीक्षा के लिए एक अहम बैठक बुलाई गई है। इस बैठक में बिजली विभाग के अधीक्षण अभियंता, सभी अधिशासी अभियंता और प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल होंगे। बैठक का मकसद यह जानना है कि संविदा कर्मियों की छंटनी किन आधारों पर की गई, और क्या विभाग ने सेवा शर्तों का उल्लंघन किया है।
संविदा कर्मियों की मांगें: संविदा कर्मियों का कहना है कि उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना या वैध कारणों के हटाया जा रहा है। वे लंबे समय से न्यूनतम वेतन, स्थायीकरण और काम के घंटों को लेकर नाराज चल रहे थे। हाल की छंटनी की कार्रवाई ने इन मुद्दों को और भड़का दिया है।
प्रदर्शन का स्वरूप: शक्ति भवन में हजारों की संख्या में पहुंचे संविदा कर्मियों ने जोरदार नारेबाजी की और बिजली विभाग के उच्च अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। कर्मचारियों का आरोप है कि जब वे विभाग को संकट में सेवाएं देते हैं, तब उनकी सराहना होती है लेकिन अब उन्हें नजरअंदाज कर बाहर किया जा रहा है।
सरकारी कार्रवाई: मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के डीएम से स्पष्ट रिपोर्ट मांगी है कि किन-किन संविदा कर्मचारियों को हटाया गया है, हटाने के पीछे क्या आधार थे और क्या विभागीय प्रक्रिया का पालन किया गया। साथ ही, यह निर्देश भी जारी हुआ है कि यदि कहीं कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका है तो त्वरित कदम उठाए जाएं।
आगे की रणनीति: संविदा कर्मचारियों की यूनियनों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द ही उनकी मांगों पर विचार नहीं किया गया, तो वे प्रदेशव्यापी आंदोलन करेंगे। इससे बिजली आपूर्ति पर व्यापक असर पड़ सकता है।
प्रशासन की तैयारी: डीएम स्तर की बैठक में संविदा कर्मियों के प्रदर्शन से निपटने की रणनीति तैयार की जा रही है। वहीं, अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे वैकल्पिक व्यवस्था रखें ताकि आम जनता को बिजली आपूर्ति में कोई बाधा न हो।