ये धार्मिक स्वतंत्रता का अपमान है: अखिलेश
अखिलेश यादव मंगलवार को लखनऊ स्थित पार्टी मुख्यालय में मीडिया को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इटावा की घटना दर्शाती है कि अब भी समाज में कुछ ताकतें जाति और वर्चस्व के नाम पर भेदभाव कर रही हैं। उन्होंने कहा, “अगर कोई सच्चा कृष्ण भक्त है और कथा सुनाना चाहता है, तो उसे रोका जाना उसके आत्मसम्मान और धार्मिक स्वतंत्रता का अपमान है।” पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि कथावाचन जैसे पवित्र कार्य को कुछ वर्गों के विशेषाधिकार तक सीमित कर देने की कोशिश की जा रही है, जो न केवल संविधान के खिलाफ है बल्कि सामाजिक समरसता को भी चोट पहुंचाता है। उन्होंने पूछा कि जो लोग पीडीए (पिछड़ा, दलित, अल्पसंख्यक) वर्ग से चढ़ावा और दान स्वीकार करते हैं, क्या वे सार्वजनिक रूप से यह घोषणा करेंगे कि उनका चढ़ावा स्वीकार नहीं किया जाएगा?
पीडीए वर्ग के लोगों का हो रहा हाशियाकर: अखिलेश
उन्होंने कहा कि सरकार को संविधान की प्रस्तावना और बाबा साहब के विचारों के अनुरूप कार्य करना चाहिए, तभी सभी नागरिकों को सम्मान मिल सकता है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार में पीडीए वर्ग के लोगों का योजनाबद्ध तरीके से हाशियाकरण किया जा रहा है। अखिलेश यादव ने कथावाचकों को किया सम्मानित
इस मौके पर अखिलेश यादव ने इटावा मामले के पीड़ित कथावाचकों को सम्मानित भी किया। उन्हें 21-21 हजार रुपये की राशि भेंट की गई और समाजवादी पार्टी की ओर से 51-51 हजार रुपये की मदद देने की घोषणा की गई। अखिलेश यादव ने अंत में कहा कि समाज में समानता और सम्मान के लिए लड़ाई जारी रहेगी और सपा हर उस व्यक्ति के साथ खड़ी है जो अन्याय का शिकार हुआ है।