मुगलई रसोई से निकली, दुनिया भर में बसी
कुल्फी का सफर किसी आम डेजर्ट की तरह नहीं रहा। इसका जन्म 16वीं सदी में मुगलों की रसोई में हुआ, जब रॉयल बावर्ची गाढ़े दूध में केसर, मेवा और इलायची डालकर उसे खास धातु के सांचों में जमाते थे। उस दौर में बर्फ को दूर हिमालय से मंगाया जाता था और कुल्फी को जमाने के लिए उसे मिट्टी के बर्तनों में पैक करके बर्फ में रखा जाता था। यह प्राचीन भारत की नेचुरल कोल्ड स्टोरेज तकनीक थी।क्या बनाता है कुल्फी को खास?
कुल्फी को आइसक्रीम की तरह फेंटकर नहीं बनाया जाता, यही वजह है कि इसका टेक्सचर अधिक गाढ़ा, ठोस और भरावदार होता है। यह धीरे-धीरे पिघलती है, जिससे हर एक बाइट में स्वाद की गहराई और परत-दर-परत मिठास महसूस होती है। इसमें इस्तेमाल होने वाले पारंपरिक देसी फ्लेवर जैसे केसर, इलायची, गुलाबजल, पिस्ता और बादाम न केवल इसका स्वाद बढ़ाते हैं, बल्कि इसे एक शाही मिठाई का अनुभव भी बनाते हैं।कुल्फी शब्द कैसे रखा गया
कुल्फी का जिक्र आते ही सिर्फ मुंह में मिठास नहीं घुलती, बल्कि बचपन की वो गर्म दोपहरें, मोहल्ले की ठेले वाली कुल्फी, और त्योहारों का उल्लास भी याद आ जाता है। आज के दौर में भी यह मिठाई शुद्ध रूप से शाकाहारी विकल्प होने के कारण बेहद लोकप्रिय है। जानकारों के मुताबिक ‘कुल्फी’ शब्द फारसी भाषा के “कुल्फी” से आया है, जिसका अर्थ होता है “ढका हुआ प्याला” जैसे वह सांचा जिसमें कुल्फी जमी होती है।कुल्फी के अलग – अलग फ्लेवर्स
-मलाई कुल्फी-केसर पिस्ता कुल्फी
-गुलाब (रोज) कुल्फी
-आम (मैंगो) कुल्फी
-पान कुल्फी
-चॉकलेट कुल्फी
-बदाम कुल्फी
-इलायची कुल्फी
-मलाई रबड़ी कुल्फी
-नारियल (कोकोनट) कुल्फी
घर पर बनाएं स्वादिष्ट मलाई कुल्फी
सामग्री-फुल क्रीम दूध
-चीनी
-इलायची पाउडर
-केसर
-कटे हुए बादाम, पिस्ता
-कॉर्नफ्लोर