पंचमेवा
मोदक के बाद यदि कोई भोग गणेश जी को प्रसन्न करता है, तो वह है पंचमेवा। सूखे मेवों का यह मिश्रण न केवल स्वादिष्ट होता है, बल्कि धार्मिक मान्यता है कि इसे अर्पित करने से ग्रहों के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं और जीवन से दुख-बाधाएं कम होती हैं।
लड्डू
बेसन, रवा, मखाने और मोतीचूर के लड्डू भी गणपति को बेहद प्रिय हैं। गणेशोत्सव के दौरान जब भक्त इन लड्डुओं का भोग लगाते हैं तो माना जाता है कि वैवाहिक जीवन में सौहार्द और शांति बनी रहती है।
केला और अन्य फल
फलों में बप्पा को सबसे अधिक प्रिय है केला। इसके अलावा सेब, संतरा, पपीता और आम भी अर्पित किए जाते हैं। मान्यता है कि इससे घर में सौभाग्य और सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।
मोदक
गणेश जी का नाम सुनते ही सबसे पहले मोदक की छवि मन में उभरती है। कथा के अनुसार जब देवताओं ने माता पार्वती को दिव्य मोदक भेंट किया था, तो उन्होंने वह प्रसाद गणेश जी को दिया। तभी से मोदक बप्पा के प्रियतम भोग बन गए।
गुड़
गणेश जी को गुड़ भी अत्यंत प्रिय है। गुड़ को शुद्धता और परंपरा का प्रतीक माना गया है। इसे अर्पित करने से जीवन में मधुरता आती है और कठिनाइयां दूर होती हैं। पूरन पोली
महाराष्ट्र के घर-घर में चने की दाल, गुड़, इलायची और जायफल से बनी यह मीठी रोटी खास तौर पर गणपति को अर्पित की जाती है। घी से लिपटी पूरन पोली न सिर्फ स्वाद का आनंद देती है, बल्कि यह मान्यता भी है कि इससे घर में सुख-शांति और समृद्धि का आगमन होता है।
मालपुआ
गणपति का एक दांत टूटा हुआ है, इसलिए माना जाता है कि मालपुआ उन्हें सहजता से खाया जा सकता है। यही कारण है कि गणेशोत्सव में मालपुए का भोग लगाना शुभ माना जाता है। धार्मिक विश्वास है कि इससे अशुभता और विघ्न दूर होते हैं।
खीर
मखाने की खीर भी बप्पा का प्रिय प्रसाद माना जाता है। इसे चढ़ाने से न केवल घर की नकारात्मक ऊर्जा समाप्त होती है, बल्कि आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होती है। मखाने की खीर
यह पौष्टिक और स्वादिष्ट खीर गणेश जी को अर्पित की जाती है। यह भोग घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है।
श्रीखंड
दही से बना मीठा श्रीखंड खासकर गर्मियों में ठंडक देने वाला भोग है। इसमें केसर और इलायची का स्वाद बप्पा को बहुत पसंद आता है।