Kota: घेवर-फीणी की मांग में तेजी, हलवाइयों के पास ऑर्डर की भरमार
हलवाई मनोज अग्रवाल बताते हैं कि सावन शुरू होते ही घेवर के ऑर्डर आने लगते हैं। तीज और हरियाली अमावस्या पर तो इतना ऑर्डर होता है कि पूरा कर पाना मुश्किल हो जाता है।
सावन का महीना आते ही कोटा के बाजारों में मिठाइयों की खुशबू बिखरने लगी है। खासकर घेवर और फीणी की तो जैसे धूम मच गई है। हरियाली अमावस्या और तीज जैसे त्योहारों पर इन पारंपरिक मिठाइयों की डिमांड कई गुना बढ़ जाती है। कोटा में रामपुरा, पाटनपोल, दादाबाड़ी, तलवंडी और नयापुरा में मिठाई की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ दिखाई दे रही है। दुकानों से उठती घेवर की महक लोगों को अपनी ओर खींच रही है।
शहर के हलवाई मनोज अग्रवाल बताते हैं कि सावन शुरू होते ही घेवर के ऑर्डर आने लगते हैं। तीज और हरियाली अमावस्या पर तो इतना ऑर्डर होता है कि पूरा कर पाना मुश्किल हो जाता है। रबड़ी घेवर की तो सबसे ज्यादा मांग है। वहीं किशोरपुरा में एक व्यापारी कहते हैं कि घेवर एक खास मिठाई है जो लोग त्योहारों पर ही खाना पसंद करते हैं। घी में तला हुआ कुरकुरा घेवर, ऊपर से मलाई और रबड़ी की परत, यही इसकी पहचान है। हम रोज 200 से 300 किलो घेवर बना रहे हैं, फिर भी मांग पूरी नहीं हो रही।
इस बार घेवर में नई वैरायटी
सादा घेवर बिना मावे या मेवे के कुरकुरा, पारंपरिक स्वाद वाला : 300-400 मावा घेवर ऊपर से मावा (खोया) और केसर मिलाकर सजाया जाता है ; ज्यादा रिच और मलाईदार : 500-650
मलाई घेवर गाढ़ी मलाई और केसर युक्त ; स्वाद में लाजवाब और खास मौकों के लिए : 600-750 चॉकलेट घेवर घेवर पर चॉकलेट की लेयर डाली जाती है : 550-700
ड्राई फ्रूट घेवर ऊपर से काजू, बादाम, पिस्ता आदि सूखे मेवे डाले जाते हैं, स्वादिष्ट : 650-800
केसर घेवर घेवर में केसर का लेवर और रंग डाला जाता है: 500-650 मिक्सड स्पेशल घेवर मावा, मलाई, मेवे और केसर- सभी का मिश्रण; त्योहारों के लिए प्रीमियम घेवर। 800-1000 (भाव प्रतिकिलो)
फीणी भी नहीं पीछे
घेवर के साथ-साथ फीणी भी इस मौसम में जबरदस्त बिक रही है। फीणी एक महीन सूत जैसी मिठाई होती है, जो खासतौर पर दूध या रबड़ी के साथ खाई जाती है। यह पारंपरिक मिठाई खासतौर पर सावन के त्योहारों में बहुत पसंद की जाती है। दुकानदारों के मुताबिक, इस बार फीणी की मांग पिछले साल के मुकाबले 20त्न ज्यादा है।