उत्तर प्रदेश के कानपुर के देहात के चौबेपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत बिकरु गांव में 2 जुलाई 2020 को शासन-प्रशासन को चुनौती देने वाली घटना हुई थी। जिसमें दुर्दांत अपराधी विकास दुबे और उसके गुर्गों ने दबिश देने गई टीम पर फायरिंग करके सीओ सहित आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। जिसकी चर्चा काफी लंबे समय तक रही।
थाना प्रभारी पर लगा मुखबिरी करने का आरोप
बिकरु कांड से मशहूर इस घटना में चौबेपुर थाना प्रभारी विनय तिवारी पर आरोप लगा था कि उन्होंने दविश देने जा रही टीम की जानकारी विकास दुबे को दी। पुलिस ने विनय तिवारी को गिरफ्तार कर लिया। जिसे माती जेल में रखा गया है। बिकरू कांड की चार्जशीट में पुलिस ने 102 गवाह बनाए हैं। जिनमें से अब तक 13 का ही परीक्षण हो सका है। थाना प्रभारी विनय तिवारी के वकील शैलेंद्र कुमार तिवारी ने हाईकोर्ट में जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें उन्होंने यह जानकारी दी है।
किसी प्रकार का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं
शैलेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि विवेचक ने अदालत में किसी भी प्रकार का साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया है। जो इस बात को सिद्ध कर सके की विनय तिवारी ने विकास दुबे को दबिश की जानकारी दी है। हाई कोर्ट ने अधिवक्ता शैलेंद्र कुमार तिवारी की दलीलों को सुनने के बाद विनय तिवारी को सशर्त जमानत दे दी। एंटी डकैती कोर्ट में दो-दो लाख रुपए के दो बेल बांड दाखिल करने को कहा है। हाई कोर्ट से जमानत मिलने के बाद थाना प्रभारी के बाहर आने का रास्ता साफ हो गया है।